सीएम कमलनाथ ने माना -बच्चों को सकुशल खोज लाना हमारी पुलिस की जिम्मदारी थी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 25 फरवरी। चित्रकूट में मासूम जुड़वा भाइयों के अपहरण और हत्या के बाद मचे कोहराम के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने माना है कि बच्चों का अपहरण हमारी सीमा में हुआ था और उन्हें सकुशल ढूंढ़ कर लाना हमारी पुलिस की जिम्मेदारी थी।
इस दुखद हादसे पर अपने बयान में मुख्यमंत्री ने कहा है कि भगवान कामतानाथ की नगरी में हुआ यह हादसा बेहद दर्दनाक व दुखद है। दो मासूम जुड़वा भाइयों श्रेयांश और प्रियांश का सकुशल वापस नहीं आना मेरे लिए एक बेहद दुखद व द्रवित करने वाली घटना है। एक दिल को झकझोर देने वाली घटना है। इस घटना से मेरा मन व्यथित है ,बेचैन है। बच्चों के पिता से हुई बातचीत के बाद मेरा मन उद्वेलित हो गया। रात को भी इस घटना ने मुझे व्यथित और बेचैन किया। मुझे यह लगा कि क्यों बच्चे सकुशल वापस नहीं आ पाये ? मैं इस मामले में पड़ना नहीं चाहता कि आरोपी कौन थे, किस से जुड़े हुए थे, उनकी गाड़ियों पर किस के झंडे लगे हुए थे, क्या लिखा हुआ था, उन्हें किसका संरक्षण रहा, पड़ोसी राज्य की क्या भूमिका रही, अपराधी कहाँ के थे, उन्होंने इस वारदात को कहाँ अंजाम दिया , कहाँ बच्चों को छिपा का रखा, किस राज्य में लेकर घूमते रहे ? मैं इस बेहद संवेदनशील दुखद घटना को राजनीति का विषय भी नहीं बनाना चाहता हूँ और ना ही कोई राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप इस दुखद घटना को लेकर करना चाहता हूँ।
बच्चों का अपहरण हमारी सीमा में हुआ इसलिए हमने उन्हें सकुशल वापस लाने का पूरा प्रयास किया। यह हमारी पुलिस की जवाबदारी थी उन्हें सकुशल ढूंढ कर लाना। जिसको लेकर में निरंतर कड़े निर्देश भी देता रहा। मैंने अभी DGP को निर्देश दिए हैं कि इन 12 दिनों में पुलिस की जांच की रिपोर्ट अभी तलब करें और देखें इन 12 दिनों में पुलिस ने क्या-क्या किया ? उनकी क्या भूमिका रही ? इस मामले में लापरवाही व दोषी सामने आने पर किसी भी अधिकारी को नहीं बख्शा जाये ,चाहे छोटा हो या बड़ा। उन पर कार्रवाई करें। इस बेहद दुखद घटना में जिस भी अधिकारी की लापरवाही सामने आए उसे में बरदाश्त नहीं करूंगा। मैंने डीजीपी को कहा है कि मैं पूरे प्रदेश की पुलिस को एक बार फिर कड़े निर्देश जारी करें। कानून-व्यवस्था मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। इसमे जरा भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करूंगा। चाहे कितना भी बड़ा अधिकारी हो। लॉ एन्ड ऑर्डर को लेकर मेरा पूरे प्रदेश की पुलिस को फ्री हैंड है । अपराधी तत्वों के ख़िलाफ़ सतत मुहिम चलाये।
अपराधी तत्वों और गुंडों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें। किसी को भी नहीं छोडे। नशे के, मादक पदार्थों के अवैध व्यापार को नेस्तनाबूद करें। जुए- सट्टे के अड्डे को ध्वस्त करें। स्कूल कॉलेज के आसपास चलने वाले नशे के व्यापार को खत्म करें। मैंने डीजीपी को यह भी कहा है कि सद्गुरु सेवा संस्थान ,जहां बच्चे पढ़ते थे। उस स्कूल की भूमिका की भी जांच हो। स्कूल प्रशासन की भी यदि इसमें लापरवाही सामने आए तो उन पर भी कार्रवाई करें। बच्चे तो वापस नहीं आ सकते लेकिन दोषियों को ऐसी कड़ी से कड़ी सजा मिले कि लोग वर्षों तक याद रखें। इस केस को फास्ट्रेक न्यायालय में तो चलाएंगे ही,दोषियों को फांसी की सजा मिले इसको लेकर पुलिस गंभीर प्रयास करें।
इस तरह के अपराध करने वाले संगठित गिरोह प्रदेश में जहां कहीं भी दिखे उन पर कड़ी कार्रवाई करें।ऐसी घटनाओं में पुलिस अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें। बच्चों के परिजनों से बात करें कि क्या वे पुलिस की 12 दिन की जांच से संतुष्ट थे। वह इस मामले में किसी भी अधिकारी की लापरवाही बताएं तो उस पर अविलंब कड़ी कार्रवाई करें।