सरकार की नाक में दम करने वाला सपाक्स संगठन से पार्टी बना
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 2 अक्टूबर। प्रमोशन में आरक्षण और एट्रोसिटी एक्ट जैसे मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से सरकार की नाक में दम करने वाले संगठन सपाक्स ने गांधी जयंती के मौके पर राजनीतिक दल बनाने की घोषणा करके प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है। नए दल का नाम सपाक्स पार्टी रखा गया है और सपाक्स के आंदोलन की कमान संभाल रहे रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हीरालाल त्रिवेदी पार्टी के अध्यक्ष होंगे। नव गठित पार्टी चुनाव आयोग की अनुमति के बाद अपने चुनाव चिन्ह की घोषणा करेगी।
नए दल ने अपने पदाधिकारियों की घोषणा भी कर दी है। साथ ही विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। सपाक्स पार्टी की कार्यकारिणी में रिटायर्ड आईएएस और आईपीएस अफसरों के अलावा कई और रिटायर्ड अधिकारी शामिल हैं। पार्टी में चार उपाध्यक्ष बनाए गए हैं, ये हैं- के एल साहू, वीणा घाणेकर, राजीव खंडेलवाल और विजय वाते। सीनियर आईएएस अधिकारी वीणा घाणेकर ने सपाक्स पार्टी में शामिल होने के लिए भूमि सुधार आयोग की सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया है। सपाक्स पार्टी की सारी उम्मीदों की किरण सवर्ण मतदाता और विशेषकर इन वर्गों के अधिकारी कर्मचारी हैं। पार्टी ने साफ किया है कि उम्मीदवारों का चयन उनके सामाजिक आधार पर होगा। सपाक्स के सियासी सफर ने कई रसूखदारों की नींद उड़ा दी है। वोटों के नजरिए से देखें तो मध्य प्रदेश में एससी करीब 18 प्रतिशत और एसटी करीब 20 प्रतिशत हैं। वहीं करीब 51 फीसदी ओबीसी वोटर हैं। बाकी सामान्य वर्ग का वोट बैंक है। ऐसी स्थिति में सपाक्स पार्टी को ओबीसी और सामान्य वर्ग के मतदाताओं पर पूरा भरोसा है। सियासी पंडितों का मानना है कि अगर पार्टी कुछ सीटें भी जीत लेती है तो सरकार बनाने वाले किसी भी राजनीतिक दल के लिए चुनौती पेश करेगी। सपाक्स का पूरा अर्थ (नाम) सामान्य, पिछडा, अल्पसंख्यक अधिकारी-कर्मचारी संगठन है, जो सामान्य, पिछडा, अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकारियों-कर्मचारियों के अधिकारों कि सुरक्षा के लिए शासन प्रशासन स्तर पर सँघर्ष करता है। यही इस सँस्था का मुख्य उद्देश्य है। अभी हाल ही मे पदोन्नति मे आरक्षण के विरोध मे सपाक्स सँगठन द्वारा मध्यप्रदेश के कई जिलों व तहसीलों मे रैलियां व धरना प्रदर्शन कर शासन से पदोन्नति में आरक्षण पूर्णत: खत्म कराने की माँग हेतु आयोजन किये गए। इसमें सभी शासकीय- अर्धशासकीय विभागों में सभी श्रेणियों के अधिकारी-कर्मचारी (सामान्य,पिछडा, अल्पसँख्यक वर्ग के) शामिल होते रहे हैं।