शेहला मसूद हत्याकांड: जाहिदा और सबा सहित 4 को उम्रकैद
इंदौर, 28 जनवरी। लगभग साढ़े पांच साल पहले हुए भोपाल के बहुचर्चित और हाई प्रोफाइल शेहला मसूद मर्डर केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने चार आरोपियों जाहिदा परवेज, सबा फारुकी, शाकिब डेंजर और ताबिश को आज उम्र कैद की सजा सुनाई। एक अन्य आरोपी इरफान को वादा माफ गवाह बन जाने के चलते अदालत ने बरी कर दिया। सजा सुनाने के बाद जाहिदा परवेज ने मीडिया से कहा कि कोर्ट ने बिना किसी सबूत के मुझे दोषी ठहरा दिया। ऐसा लगता है कि कोर्ट ने सीबीआई के प्रेशर में ये फैसला दिया है। वहीं सबा के परिजनों ने हाईकोर्ट में अपील की बात कही है।
हाई प्रोफाइल आरटीआई एक्टीविस्ट और इवेंट मैनेजमेंट प्रोफेशनल लगभग 38 वर्षीया शहला मसूद की हत्या भोपाल में 16 अगस्त 2011 को भोपाल में कोहेफिजा स्थित उनके घर के बाहर हुई थी। वे जब अपने आफिस जाने के लिए अपनी कार में बैठी ही थीं, तभी शूटर ने उन्हें नजदीक से गोली मार दी। शेहला मसूद आरटीआई एक्टीविस्ट थीं और इसके लिए एक एनजीओ भी चलाती थीं। उन्होंने विभिन्न विभागों में 200 से ज्यादा आरटीआई आवेदन लगा रखे थे। इनमें सियासत और नौकरशाही से जुड़े तमाम बड़े लोगों से संबंधित जानकारियां चाही गई थीं। शेहला अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन से भी जुड़ी थीं। जब उन्हें गोली मारी गई तब वे आईएसी से जुड़े आंदोलन के भोपाल में चल रहे धरने में भी शामिल होने जाने वाली थीं। इसलिए शुरुआती जांच में यही माना जा रहा था कि आरटीआई के डर से बड़े लोगों ने शेहला का मर्डर करवा दिया।
शेहला के संबंध राजनीति और नौकरशाही में तमाम रसूखदार लोगों से थे। इसलिए उनका मर्डर हाईप्रोफाइल केस बन गया। इसे सुलझाने का जिम्मा राज्य सरकार ने सीबीआई को सौंपा था। जांच के दौरान ही शेहला के हाईप्रोफाइल रिश्तों की तमाम कहानियां सामने आईं। भोपाल से बीजेपी के एमएलए रहे ध्रुव नारायण सिंह से शेहला की नजदीकियों का खुलासा हुआ। सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक शेहला मर्डर केस में दोषी करार दी गई जाहिदा परहेज पूर्व एमएलए ध्रुवनारायण सिंह के लिए इतनी दीवानी थी कि उसने ध्रुव और शेहला की नजदीकियों से आहत होकर इस मर्डर को अंजाम दिया। शुरुआती जांच में ध्रुवनारायण सिंह से भी पूछताछ की गई। लेकिन जांच में ध्रुव के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। सीबीआई ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। जाहिदा के बार-बार मना करने के बाद भी ध्रुव जब शेहला से अलग नहीं हुए तो जाहिदा ने तय कर लिया था कि वो शेहला को खत्म कर देगी। इसका जिक्र जाहिदा की डायरी में भी है। जाहिदा ने शाकिब डेंजर को शेहला की हत्या का अपना इरादा बताया। शाकिब ने कानपुर के इरफान और ताबिश से संपर्क कर हत्या का सौदा तय किया। शाकिब ने ही इरफान और ताबिश को शेहला की हत्या के लिए पल्सर बाइक औैर देशी कट्टा मुहैया कराया। साथ ही दो दिन तक शेहला के घर की रैकी भी करवाई। शेहला को मारने की पहली कोशिश 14 अगस्त 2011 को हुई, लेकिन शेहला को गोली मारने पहुंचे इरफान और ताबिश बिना गोली चलाए ही लौट आए। 16 अगस्त 2011 को शेहला अपने घर से ऑफिस जाने के लिए जैसे ही कार में सवार हुई, उसे इरफान और ताबिश ने 315 बोर के देशी कट्टे से गोली मार दी। गोली सीधे शेहला की कनपटी पर लगी। शेहला ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। भोपाल पुलिस को शुरुआती जांच में कुछ भी हाथ नहीं लगा। मामला बढ़ा तो जांच सीबीआई को सौंप दी गई। छह महीने तक अलग-अलग बिंदुओं पर जांच करने का बाद 28 फरवरी 2012 को इस केस में पहली गिरफ्तारी हुई जाहिदा परवेज की। जाहिदा ने बताया उसने शेहला की हत्या के लिए शाकिब से शूटर बुलवाए थे। शाकिब को भी इसी दिन गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में जाहिदा ने बताया कि इस हत्या की साजिश षड़यंत्र उसने सबा फारूखी के साथ मिलकर रची थी। लगभग साढे पांच साल चले इस केस में 137 तारीखों पर सुनवाई हुई। इस दौरान सीबीआई ने 83 गवाह पेश किए थे।