शिवराज सिंह ने मंदसौर में लगाई जनता अदालत, खुद भी बैठे धरने पर
खरी खरी संवाददाता
मंदसौर, 21 सितंबर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर में किसानों और बाढ़ पीड़ितों की मांगों को लेकर प्रदर्शन किया तथा कलेक्ट्रट पर धरना दिया। इस कार्यक्रम को जनता अदालत नाम दिया गया। इसमें शिवराज सिंह ने कहा कि वे जब तक मंदसौर की जनता को न्याय नहीं दिला देंगे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेसी भोपाल में बैठे-बैठे स्टेटमेंट दे रहे हैं कि शिवराज जनता की अदालत लगा रहे हैं। आप जनता की मदद नहीं करोगे, उसकी तकलीफों के प्रति असंवेदनशील रहोगे,तो जनता कहाँ जाएगी। हम सरकार को जगाने आए हैं। श्री चौहान ने कहा कि आज का आंदोलन रचनात्मक आंदोलन है। हंगामा खड़ा करना हमारा मकसद नहीं है। हम सोती हुई सरकार को कुंभकरणी निद्रा से जगाने आए हैं। हम चाहते तो आज ही कलेक्ट्रेट घेर लेते, लेकिन हमने आज जनता की अदालत लगाई है। इसमें जनता अपनी तकलीफें बताएगी और हम उन्हें नोट करेंगे। इन तकलीफों को दूर करने का प्रयास भी करेंगे। श्री चौहान ने कहा कि मेरी पहली कोशिश है सरकार को जगाना और जनता की मदद करना। हम कमलनाथजी को चैन से सोने नहीं देंगे।
श्री चौहान ने कहा कि यह सदी की सबसे भयानक आपदा है, जिसमें सब कुछ बर्बाद हो गया। लोग परेशान हैं। एक बुजुर्ग महिला ने मुझसे रोते-रोते कहा कि बेटी की शादी है, अब मेरे पास कुछ नहीं बचा। बच्चों की किताबें-कॉपी बह गई, अर्धवार्षिक परीक्षा है उनकी। बच्चे मुझसे लिपट के रो रहे थे। कल एक गांव के सरपंच ने आत्महत्या कर ली। सोयाबीन की फसल गल गई, फली लगी नहीं। कर्जा आपने माफ किया नहीं, कर्ज के बोझ तले उन्होंने कीटनाशक पीकर आत्महत्या कर ली। सरकार सुन नहीं रही है। उन्हें जनता की परेशानी से कोई मतलब नहीं। चारों तरफ बर्बादी है सरकार सो रही है। कमलनाथ जी हम यह नहीं सहेंगे, जुल्म की पराकाष्ठा हो गई है ।
श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस की सरकार और उसके मंत्रियों में कोई संवेदना नहीं रह गई है। बाढ़ पीड़ितों ने दूध मांगा, तो मंत्री ने कह दिया कि ‘मैं दूध थोड़ी देता हूं’। भाई दूध नहीं देते, लेकिन बंदोबस्त तो कर सकते हो, बच्चे बिलख रहे है। मंत्री जी, दो शब्द तो संवेदना के बोल सकते थे। उन्होंने कहा कि मैं यहां आता हूं, तो कांग्रेसी कहते हैं घड़ियाली आंसू बहा रहा हूं। लेकिन मैं नहीं आता तो मुख्यमंत्री कमलनाथ आते क्या ? मैं यहां नहीं आता तो कमलनाथ भी मंत्रालय से नीचे नहीं उतरते। मैं घूम रहा हूं तो आज शर्म के मारे वे भी निकल रहे हैं।