विवेक तनखा की टिप्पणी से आहत राज्यपाल टंडन ने दी नसीहत
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 9 अक्टूबर। कांग्रेस के सांसद और जाने माने विधि वेत्ता विवेक तनखा की राज्यपाल को राजधर्म का पालन करने की सलाह सरकार के लिए सांसत बन गई। महापौर चुनाव के संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल की मंजूरी के साथ राजभवन की ओर से जारी बयान के बाद साफ हो गया है कि राज्यपाल विवेक तनखा की टिप्पणी से आहत थे। सीएम कमलनाथ तनखा की टिप्पणी से पहले ही किनारा कर चुकेे थे और बाद में तनखा ने भी खेद जता दिया। इसके बाद भी यह मामला एक इतिहास बन गया।
प्रदेश में महापौर का चुनाव पार्षदों के जरिए कराने के सरकार के संशोधन अध्यादेश को राज्यपाल तत्काल मंजूरी नहीं दी और कुछ मुद्दों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांग लिया। सरकार इस संशोधन को लेकर बहुत जल्दबाजी में है, इसलिए राज्यपाल की इस कार्रवाई को लेकर कोल्डवार जैसी स्थिति बन गई। इस बीच कांग्रेस के सांसद विवेक तनखा ने टि्वीट करके राज्यपाल को राजधर्म का पालन करने की सलाह दे डाली। इसके बाद सरकार की ओर मंत्रियों और अधिकारियों ने जाकर राज्यपाल स्पष्टीकरण दिए पर राज्यपाल संतुष्ट नहीं हुए। अंतत: मुख्यमंत्री कमलनाथ को राज्यपाल के पास जाना पड़ा और एक घंटे बैठकर सारी स्थितियां स्पष्ट की। सीएम ने विवेक तनखा के बयान से आधिकारिक रूप से पल्ला झाड़ लिया और इसे उनका निजी बयान बताया। इसके बाद राज्यपाल की नाराजगी दूर हुई और उन्होंने अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए।
राजभवन की ओर से यह सूचना देते हुए बड़ा बयान जारी किया गया है। इसमें साफ तौर पर तनखा की टिप्पणी को लेकर राज्यपाल की नाराजगी की ओर संकेत किया गया है। बयान में किसी का नाम नहीं लिया गया है लेकिन राज्यपाल की ओर से विवेक तनखा को नसीहत दी गई है। इस बयान में कहा गया है कि राज्यपाल टंडन का दृढ़ अभिमत है कि संवैधानिक पदों के विवेकाधिकार पर टीका टिप्पणी करना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। राज्यपाल पद की गरिमा निष्पक्ष और निर्विवादित है। इस पर किसी भी प्रकार का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष दबाव बनाना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन है। स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्पराओं के लिए हानिकारक है। लोकतांत्रिक परम्पराओं की गरिमा निष्पक्षता और निर्विवादित कर्तव्यपालन के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि संवैधानिक पद निष्पक्ष और बिना किसी दबाव के कार्य करें। राज्यपाल टंडन ने स्पष्ट किया है कि राजभवन के दरवाजे प्रत्येक नागरिक के लिए हमेशा खुले हैं। सभी को समान रूप से राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने का पूरा अवसर दिया जा रहा है। स्वस्थ लोकतांत्रिक परम्पराओं के निर्वहन और संवैधानिक मर्यादाओं के संरक्षण के लिए यह आवश्यक है कि संबंधित विषय पर विचारों को व्यक्त करने में संवैधानिक मर्यादाओं का पालन किया जाए।