विधानसभा चुनाव होते ही मध्यप्रदेश में कम हो गए 62 हजार वोटर
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 7 जनवरी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में रिकार्ड तोड़ वोटिंग वाले मध्यप्रदेश में चुनाव के बाद करीब 62 हजार वोटर कम हो गए। करीब पचास दिन में ही इतने वोटर अधिकृत तौर पर कम होने से सियासी बवाल मच गया है। चुनाव आयोग ने वोटर कम होने का कारण वोटर लिस्ट के अपडेशन में मृतकों और अन्य आवेदकों के नाम हटाया जाना बताया है, लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इसे विधानसभा चुनाव के लिए वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़ने और अब उन्हें हटाने का आरोप लगा रही है।
रिकार्ड तोड़ वोटिंग हुई थी मप्र में
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 4 अक्टूबर 2023 को जारी वोटर लिस्ट में 5 करोड़ 60 लाख 60 हजार 925 मतदाता थे। इसी वोटर लिस्ट के आधार पर 17 नवंबर को प्रदेश में वोटिंग हुई थी। मतदाताओं ने करीब 80 फीसदी वोटिंग करके नया रिकार्ड बनाया। इस वोटिंग के करीब पचास दिन बाद बाद 6 जनवरी 2024 को लोकसभा चुनाव के लिए प्रारंभिक वोटर लिस्ट का प्रकाशन चुनाव आय़ोग ने किया तो प्रदेश में मतदाताओं की संख्या घटकर 5 करोड़ 59 लाख 58 हजार 370 रह गई है।यह संख्या विधानसभा चुनाव के लिए 4 अक्टूबर को प्रकाशित अंतिम वोटर लिस्ट की संख्या से करीब 62 हजार कम है।
कांग्रेस ने लगाए फर्जीवाड़े के आरोप
मध्य प्रदेश में 50 दिन में कम हुए 62 हजार मतदाताओं को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सवाल उठा रही है। मप्र कांग्रेस के चुनाव कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने कहा कि पहले फर्जी नाम वोटर लिस्ट में जोड़े गए और अब उन्हें हटाया जा रहा है। उनका कहना है कि कांग्रेस ने पहले भी फर्जी मतदाताओं को लेकर आवाज उठाई थी। विधानसभा के लिए 17 नवंबर को हुए चुनाव में 2 लाख के करीब मतदाताओं के नाम जोड़े गए और एक लाख के करीब मतदाताओं के काटे गए थे। इसके बावजूद 50 दिन में 62 हजार वोटों के नाम फिर काट दिए गए। इससे साफ है कि जिन लोगों ने फर्जी नाम जुड़वाए थे, वे अब फंसने के डर से नाम कटवा रहे हैं।
नाम कटने पर चुनाव आयोग का तर्क
चुनाव आयोग कांग्रेस के आरोपों को गलत बता रहा है। मध्यप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुपम राजन ने कहा कि जिनके नाम काटने के आवेदन आए हैं, उनके नाम काटे गए। इस दौरान जिनकी मृत्यु हुई है, उनके भी नाम काटे गए हैं। इसके चलते मतदाताओं की संख्या कम हुई है। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट अपडेशन का काम एक सतत प्रक्रिया है, जो चलता रहता है। चुनाव के दौरान जब बीएलओ पर्ची बांटते हैं, उस दौरान भी एक लिस्ट तैयार की जाती है, जिसमें जो लोग वहां नहीं रहते और जिनकी मृत्यु हो जाती है, उनकी भी लिस्ट बनाई जाती है। उसी के अनुसार वोटर लिस्ट का अपडेशन किया जाता है।