विधानसभा का मानसून सत्र 18 से, अपनों की नाराजगी भी बरसेगी सरकार पर

Jul 16, 2016

भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के 18 जुलाई से शुरू होने जा रहे मानसून सत्र में सरकार को विपक्ष के साथ अपने लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ेगी और उनके आरोपों का भी सामना करना पड़ेगा। प्रदेश में हाल ही में हुई अतिवृष्टि से बिगड़े हालात को लेकर विधायकों में भारी नाराजगी है, क्योंकि पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायकों को इस आपदा में मदद के लिए लगतार खड़े रहने के बाद भी आम जनता की खरी-खरी सुननी पड़ी। इसलिए अब विधायक अपनी नाराजगी सदन में सरकार पर उतारेंगे और कोशिश करेंगे कि जिन प्रशासनिक अफसरों की लापरवाही के चलते हालात बिगड़े उनके खिलाफ कार्रवाई कराने में सफल रहें, ताकि जनता के सामने जाकर खड़े तो हो सकें।
इस सत्र के लिए विधानसभा सचिवालय को अभी तक विधायकों की तरफ से जो सवाल, अशासकीय संकल्प, ध्यानाकर्षण सूचनाएं आदि मिली हैं, उनमें विधायकों की नाराजगी साफ झलक रही है। विपक्ष के विधायकों ने तो अपने सवालों और ध्यानाकर्षण सूचनाओं से सरकार को कटघरे में खड़ा किया ही है, सत्ता पक्ष के करीब एक दर्जन विधायकों ने भी सरकार को घेरने की तैयारी की है। अतिवृष्टि से आई बाढ़, बांधों का टूटना, पुलों का ढह जाना जैसे मुद्दों पर सरकार से सवाल किए जाएंगे। विधायकों की नाराजगी और सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विधानसभा में ध्यानाकर्षण सूचनाएं लगाने की शुरुआत 12 जुलाई से हुई और सिर्फ 4 दिन में 133 ध्यानाकर्षण सूचनाएं विधानसभा सचिवालय को मिल चुकी हैं। इनमें अधिकांश सूचनाएं बाढ़ में प्रशासनिक लापरवाही और नुकसान को लेकर हैं।
इसके साथ ही सिंहस्थ में तथाकथित भ्रष्टाचार का मुद्दा भी सदन में गर्माएगा। कांग्रेस ने तो इस मुद्दे पर काम रोको प्रस्ताव लाने की तैयारी कर ली है। ।  विधानसभा सचिवालय को इसकी सूचना दे दी गई है। आरोप है कि सिंहस्थ के निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। कांग्रेस विधायक मुकेश नायक ने पन्ना जिले में दो बांधों के फूटने के मामले पर स्थगन की सूचना दी है। उप नेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन ने भी इस मामले पर स्थगन के जरिए चर्चा कराने की मांग की है। विधानसभा को अब तक 16 स्थगन की सूचनाएं मिल चुकी हैं। इसी के साथ 37 अशासकीय संकल्प और 38 शून्यकाल की सूचनाएं भी प्राप्त हुई हैं।  
सरकार इस कोशिश में रहेगी कि दस दिन का सत्र पूरे समय चले और किसी तरह अनुपूरक बजट चर्चा के साथ पारित हो जाए। सरकार के अनुरोध पर स्पीकर इस बार भी सदन की बैठकें शुरू होने के पहले सर्वदलीय बैठक बुलाने की तैयारी में हैं। इससे सत्र के सुचारू रूप से चलने की संभावना बढ़ जाएगा, लेकिन यह तय है कि सरकार को भी फिर थोड़ा सा झुकना पड़ेगा।





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