वित्त विभाग में करोड़ों का घोटाला, दिग्विजय सिंह ने की EOW में शिकायत
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 28 नवंबर। मध्यप्रदेश सरकार के वित्त विभाग में आला अफसरों की मदद से करोड़ों रुपए के घोटाले का मामला सामने आया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मामले की दस्तावेजीय शिकायत ईओडब्ल्यू में करते हुए केस दर्ज कर जांच कराए जाने की मांग की है।
पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने पत्र के साथ दस्तावेज एवं बातचीत के ऑडियो ईओडब्ल्यू को भेजकर आरोप लगाया है कि मंत्रालय में लागू आई.एफ.एम.एस. सिस्टम का काम एक चहेती फर्म को देने के लिए वित्त विभाग के अधिकारियों ने वित्त मंत्री को विश्वास में लेकर यह ढाई सौ करोड़ रुपये के घोटाले को विधानसभा चुनाव घोषित होने के कुछ दिन पूर्व अंजाम दिया। सिंह ने कहा है कि मुझे प्राप्त शिकायत के अनुसार आई.एफ.एम.एस. सिस्टम के काम के लिये पहले तो मनमानी शर्ते डालते हुए टी.सी.एस. जैसी टाटा की विश्व प्रसिद्ध कंपनी को प्रक्रिया से बाहर किया। फिर टेरा सी.आई.एस. टेक्नालॉजीस लिमिटेड, गुडगांव को टेंडर देने के लिये कार्यवाही शुरु कर दी। इस मामले में वित्त मंत्री जगदीश देवडा के साथ-साथ अतिरिक्त मुख्य सचिव अजीत केशरी की भूमिका संदिग्ध रही है। शिकायत में आरोप है कि एक अन्य आई.ए.एस. अधिकारी ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी आरोपित कंपनी के प्रतिनिधियों से मिलीभगत कर घोटाले में शामिल रहे। पहले यह टेंडर 200 करोड़ रुपये का था, जिसे एजेंसी तय होने के दौरान बढ़ाकर 247 करोड़ रुपये कर दिया गया। दिग्विजय सिंह का आरोप है कि इस पूरे टेंडर घोटाले में करीब पचास करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ है। रिश्वत की रकम विभिन्न माध्यमों से संबंधित अधिकारियों और मंत्री को दी गई है। ए.सी.एस. वित्त अजीत केशरी, ज्ञानेश्वर पाटिल, आयुक्त कोष एवं लेखा और टेरा टेक्नॉलाजी लिमिटेड गुडगांव से काम लेने वाले आंध्र प्रदेश की कंपनी पिक्सल वाईड सॉल्यूशन के डायरेक्टर प्रित्युश जी. रेड्डी के लिए काम करने वाले ग्वालियर निवासी देवेश अग्रवाल के बीच विभिन्न अवसरों पर वाट्सऐप पर हुई चेटिंग पत्र के साथ संलग्न है। करीब पचास करोड़ रुपये का लेन देन करने के बाद वित्त विभाग के अधिकारियों ने आचार संहिता लगने के कुछ दिन पूर्व गुडगांव की कंपनी को वर्क ऑर्डर दिया गया, जो बाद में हैदराबाद की कंपनी को सबलेट किया गया। वित्त विभाग के अधिकारियों ने इस टेंडर प्रक्रिया की शर्तों को इस कंपनी के अनुकूल बनाया था, ताकि अन्य कंपनी भाग ही न ले सके।