वन विभाग छीने जाने से नाराज मंत्री चौहान ने दी इस्तीफे की धमकी, दिल्ली तलब  

Jul 22, 2024

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 22 जुलाई। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए वरिष्ठ नेता रामनिवास रावत को मंत्री पद और बड़ा विभाग देकर बीजेपी ने भले ही संतुष्ट कर दिया हो, लेकिन बीजेपी के अंदर बवाल मच गया है। रावत को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सौंपा गया है जो अभी तक युवा आदिवासी नेता नागर सिंह चौहान के पास था। चौहान के पास अनुसूचित जाति कल्याण विभाग अभी भी है, लेकिन अचानक और बिना सहमति के वन एवं पर्यावरण महकमा छीने जाने से वे बेहद नाराज हैं और इस्तीफे की धमकी दे दी है। अपने साथ ही अपनी सांसद पत्नी का इस्तीफा करवाने का भी अल्टीमेटम दे दिया है। विवाद बढ़ने पर शाम को भाजपा आलाकमान ने चौहान को दिल्ली तलब कर लिया।

लोकसभा चुनाव के समय श्योपुर जिले की विजयपुर सीट से कांग्रेस के विधायक रामनिवास कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी में आ गए। हालांकि उन्होंने कांग्रेस और विधायकी से इस्तीफा नहीं दिया जिसके चलते ऊहापोह की स्थिति बनी रही। आखिरकार करीब 13 दिन पहले रावत को राज्य की भाजपा सरकार में मंत्री बना दिया गया, तब जाकर उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया। लंबे इंतजार के बाद रावत मंत्री तो बना दिए गए लेकिन विभाग नही दिया गया। करीब 13 दिन के इंतजार के बाद उन्हें वन मंत्रालय सौंपा गया। इससे वे बहुत खुश नहीं हुए क्योंकि उनकी इच्छा गृह मंत्रालय की थी। उन्होंने अपनी नाराजगी खुल्लमखुल्ला नहीं जाहिर की लेकिन वन एवं पर्यावरण महकमा जिन मंत्री नागर सिंह चौहान से छीना गया उन्होंने अपनी नाराजगी का इजहार खुले आम करके बगावती तेवर दिखा दिए। वन-पर्यावरण विभाग ले लिए जाने के बाद भी नागर सिंह चौहान के पास अनुसूचित जाति जैसा बड़ा मंत्रालय है लेकिन उऩकी नाराजगी बिना सहमति लिए विभाग छीने जाने और उसे कांग्रेस से आए नेता को दिए जाने को लेकर थी। नाराज चौहान ने इसे अपनी तौहीन बताते हुए इस्तीफे की धमकी दे दी।

पहली बार मंत्री बने युवा आदिवासी नेता और चार बार के विधायक नागर सिंह चौहान ने अपनी पीड़ा मीडिया से साझा करते हुए कहा कि मैं बीजेपी का बहुत छोटा सा कार्यकर्ता हूं। अलीराजपुर में हमने कांग्रेस के गढ़ को भेदा है। एमपी की सरकार में पहली बार अलीराजपुर को नेतृत्व मिला था। हमसे बिना पूछे सात महीने बाद कांग्रेस से आए रामनिवास रावत को मेरे दोनों विभाग दिए हैं। इससे मैं बहुत दुखी हूं। मैं बीजेपी का मूल कार्यकर्ता हूं। हमने वर्षों तक पार्टी के लिए जमीन पर काम किया है। एमपी में बीजेपी के तमाम कार्यकर्ता इस बात को लेकर दुखी हैं कि कांग्रेस से आए लोगों को पदों से नवाजा जा रहा है। चौहान ने कहा कि लोगों की भावनाओं को देखते हुए मुझे पद पर नहीं रहना चाहिए। उन्होंने इस्तीफे की बात पर कहा है कि यह मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मेरे लिए पद महत्वपूर्ण नहीं है। मेरी नाराजगी इसलिए है कि कांग्रेस से आए लोगों को क्यों नवाजा जा रहा है। बीजेपी के मूल कार्यकर्ताओं को मारा जा रहा है।उन्होंने कहा कि मैं पद का भूखा नहीं हूं। मैं चार चुनाव जीता हूं। मेरी पत्नी अनिता नागर भी झाबुआ-रतलाम से सांसद है। नागर ने कहा कि मुझे सात महीने बाद हटाना ही था तो मंत्री बनाया क्यों था। हटाने से पहले मुझे विश्वास में तो लेना चाहिए था। मेरी गलती होती तो मैं इस्तीफा लिखकर दे देता। कांग्रेस से चार दिन पहले आए लोगों को पद से नवाजा जा रहा है। वहीं, अपनी पत्नी के सांसद बनने पर नागर सिंह चौहान ने कहा कि न हमने, न हमारी पत्नी ने टिकट मांगा। पार्टी ने खुद दिया और हमने कांग्रेस के ताकतवार कांतिलाल भूरिया को चुनाव हराया।

नागर सिंह चौहान ने लोकसभा के बजट सत्र में भाग लेने दिल्ली जा रही अपनी सांसद पत्नी को भी वापस बुला लिया। उन्होंने दोनों के इस्तीफा देने का अल्टीमेटम दे दिया और कहा कि बिना पद के भी वे अलीराजपुर के लोगों की सेवा कर सकते हैं। उनकी नाराजगी का विवाद बढ़ने पर उन्हें आलाकमान ने दिल्ली तलब कर लिया। देर शाम नागर दिल्ली के लिए रवाना हो चुके थे।

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