लाड़ली बहनों को मोहन सरकार के राखी शगुन पर सियासी विवाद

Aug 04, 2024

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 4 अगस्त। लाड़ली बहना योजना की लाभार्थी महिलाओं को रक्षा बंधन के अवसर पर 250 रुपए अतिरिक्त दिए जाने की मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की घोषणा पर सियासी विवाद शुरू हो गया है। भाजपा के दिग्गज नेता रघुनंदन शर्मा ने यह विशेष लाभ सिर्फ रक्षाबंधन त्यौहार मनाने वाले समुदाय विशेष की महिलाओं को दिए जाने का तर्क दिया है। इस पर ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि सरकार सबकी है।

मध्यप्रदेश सरकार ने राखी के अवसर पर लाड़ली बहनों को 250 रुपए अतिरिक्त दिए जाने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि लाड़ली बहनों को हर माह मिलने वाली 1250 रुपए की राशि यथावत रहेगी। बहनों का त्यौहार होने के कारण उन्हें 250 रुपए का अतिरिक्त आवंटन किया जाएगा। इसे बहनों को सरकार का राखी शगुन बताया जा रहा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए यह शगुन सिर्फ उस समुदाय की बहनों को दिए जाने की राय दी है जो रक्षाबंधन पर्व पारंपरिक रूप से मनाते हैं। भाजपा नेता ने लाड़ली बहना योजना की सभी लाभार्थी बहनों को राखी शगुन दिए जाने पर आपत्ति की है।

सरकार ने रघुनंदन शर्मा की इस आपत्ति पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इस पर सियासी विवाद छिड़ गया है। ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने लाड़ली बहना या इसके समांतर किसी योजना के लिए धर्म आधारित बंटवारा नहीं किया है। सरकार को चुनने में जिस तरह सभी धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय का सहयोग होता है, उसी तरह सरकार से मिलने वाली सुविधाओं पर भी सभी का सामान अधिकार है।काजी अनस ने कहा कि प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव पूरे सूबे की अवाम को एक नजरिए से देखते हुए सभी को योजना का लाभ समान रूप से दे रहे हैं। उनकी स्वच्छ मानसिकता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि ईद के त्यौहार पर भी योजना की राशि समय पूर्व ही बहनों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई थी। इस दौरान इस बात का भेदभाव नहीं किया गया था कि ईद का पर्व मनाने वालों को ही इसका फायदा दिया जाए। दुनिया भर में इकलौता देश हिंदुस्तान है, जहां त्योहारों की खुशियां सभी मिल जुलकर मनाते हैं। दिवाली की रोशनी में रहीम भी नहाया दिखाई देता है। इसी तरह ईद की मिठास लिए बिना राम भी खुद को नहीं रोक पाता। ऐसे में सरकारी योजनाओं को लेकर धर्म आधारित बंटवारा किया जाना न सिर्फ संकीर्ण मानसिकता का परिचायक कहा जाएगा, बल्कि इससे देश की गौरवशाली परंपरा को भी नुकसान होगा।

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