राजस्थान से जल समझौता, मोहन यादव सरकार के खाते में बड़ी उपलब्धि
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 29 जनवरी। मुख्यमंत्री डा मोहन यादव की सरकार को लगभग डेढ़ महीने के कार्यकाल में ही बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। मध्यप्रदेश और राजस्थान के लगभग 26 जिलों के लिए वरदान मानी जा रही करीब दो दशक से लंबित पार्बती-कालीसिंध-चंबल परियोजना के मूर्त रूप लेने का रास्ता साफ हो गया है। इस परियोजना को अमली जामा पहनाने के लिए रविवार को मध्यप्रदेश-राजस्थान और केंद्र के बीच त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की उपस्थिति में सचिव, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय श्रीमती देबाश्री मुखर्जी, मध्य प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा और राजस्थान शासन के अपर मुख्य सचिव, जल संसाधन अभय कुमार ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने दो दशकों से लंबित परियोजना के क्रियान्वयन का मार्ग प्रशस्त होने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में मात्र डेढ़ महीने के कार्यकाल में उन्होंने इस परियोजना का काम शुरू कराने के लिए जो अथक परिश्रम किया है, वह किसी से छिपा नहीं है। इसलिए इसका असली श्रेय उनके खाते में जाता है। यही कारण है कि एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मप्र सरकार की जमकर तारीफ की।
इस परियोजना से मध्यप्रदेश के चंबल और मालवा अंचल के 13 जिलों को लाभ पहुंचेगा। प्रदेश के ड्राई बेल्ट वाले जिलों जैसे मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, भिंड और श्योपुर में पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और औद्योगिक बेल्ट वाले जिलों जैसे इंदौर, उज्जैन, धार, आगर-मालवा, शाजापुर, देवास और राजगढ़ के औद्योगीकरण को और बढ़ावा मिलेगा। प्रदेश के मालवा और चंबल अंचल में लगभग तीन लाख हेक्टेयर का सिंचाई रकबा बढ़ेगा। परिणामस्वरूप इन अंचलों के धार्मिक और पर्यटन केंद्र भी विकसित होंगे। यह परियोजना निश्चित रूप से पश्चिमी मध्यप्रदेश के लिए एक वरदान है। त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन में इस लिंक परियोजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्यों में कुल 5.60 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रदान करने के साथ-साथ पूर्वी राजस्थान के 13 जिले और मध्य प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र के 13 जिलों में पेयजल और औद्योगिक उपयोग के लिये पानी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। समझौता ज्ञापन में लिंक परियोजना के काम का दायरा, पानी का बंटवारा, पानी का आदान-प्रदान, लागत और लाभ का बंटवारा, कार्यान्वयन तंत्र और चंबल बेसिन में पानी के प्रबंधन और नियंत्रण की व्यवस्था शामिल की गई हैं। उल्लेखनीय है कि पार्बती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की फीजिबिलिटी रिपोर्ट फरवरी 2004 में तैयार की गई थी तथा वर्ष 2019 में राजस्थान सरकार द्वारा आरसीपी का प्रस्ताव लाया गया था। वर्तमान समझौता ज्ञापन में दोनों परियोजनाओं को एकीकृत कर दिया गया है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मेगा ड्रीम प्रोजेक्ट नदी जोड़ो अभियान की यह परियोजना बड़ी उपलब्धि है।