मोहन यादव सरकार के मंत्रियों ने दो दिन में सीखा सुशासन का पाठ
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 4 फरवरी। अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में आयोजित दो दिन की लीडरशिप समिट में मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार के मंत्रियों ने सुशासन का पाठ सीखा औऱ इसे अपनी निभागीय कार्यपद्धति में शामिल करने का संकल्प लिया।
सुशासन की दिशा में मिलकर काम करें- सीएम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में सुशासन की दिशा में सभी विभागों को मिलकर कार्य करना चाहिए। सुशासन की दिशा में प्रदेश अपनी नई पहचान बनाए इसके लिए कार्ययोजना बनाकर उपलब्धि प्राप्त करें।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मंत्री-परिषद के सदस्यों से कहा कि व्यवहार में शासन की मर्यादा का ध्यान रखना जरूरी है। समिट के माध्यम से जो व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त हुआ, उसे अपने जीवन में उतारने का भरपूर प्रयास करें। समिट के सभी सत्रों में विशेषज्ञ वक्ताओं ने मूल्यवान विचार रखे। यह विचार भविष्य में जीवनोपयोगी सिद्ध होंगे।
विधानसभा में दिए गए आश्वासनों को पूरा करें- तोमर
विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि मंत्रीगण विधान सभा में दिए आश्वासनों को प्रतिबद्धता के साथ पूरा करें।उन्होंने कहा कि मंत्रीगण को अपने विभाग की कार्यप्रणाली और प्रक्रियाओं को पूरी तरह समझना चाहिए। विधान सभा अध्यक्ष ने प्रशासनिक व्यवस्था और कार्यप्रणाली को समझाते हुए कि नीतियों के बनाने, क्रियान्वयन करने और समीक्षा को बेहतर ढंग से करने के लिए अध्ययन करने की सलाह दी। मंत्रीगण अपने अपने विभाग में नवाचार पर भी ध्यान दें। समीक्षा करने के साथ विभाग में समय की मांग के अनुसार प्रशासनिक सुधार करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण संवाद और सहयोग महत्वपूर्ण है। सरकार और प्रशासन एक इसरे के पूरक है।
वित्तीय अनुशासन बहुत जरूरी- प्रह्लाद
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने बजट, मंत्रालयीन कार्य प्रणाली, कार्य आवंटन नियम, विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र विकास योजना नियमावली विषय पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अनुपूरक अनुमान विधानसभा के प्रत्येक सत्र में लाया जा सकता है। उन्होंने वजट और बजट प्रक्रिया पर विस्तार से जानकारी दी। मंत्री पटेल ने कहा कि वित्तीय अनुशासन के साथ विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना है। वित्तीय आत्मनिर्भरता लक्ष्य होना चाहिए। उन्होने बजट प्रबंधन के संबंध में विस्तार से जानकारी दी।
सहस्त्रबुद्धे ने अन्य राज्यों की सफल योजनाएं बताईं
लीडरशिप समिट के दूसरे सत्र में डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने अन्य भाजपा संचालित राज्य सरकारों की सफल योजनाओं के बारे में बताया। उन्होंने गुजरात के बड़ोदरा में शुरू की गई जन-विश्वास बस योजना, केनाल टॉप सोलर प्रोजेक्ट, शाला प्रवेश उत्सव, अहमदाबाद का बीआरटीएस, उत्तर प्रदेश का नकलमुक्त प्रदेश अभियान, एक जिला-एक उत्पाद योजना, हरियाणा की परिवार पहचान-पत्र योजना, महाराष्ट्र की जलयुक्त शिवार योजना, गोवा की स्वयं पूर्ण योजना और राजस्थान की अंत्योदय योजना के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने गोवर्धन योजना पर भी चर्चा की।
विजयवर्गीय ने इदौर की स्वच्छता यात्रा पर प्रकाश डाला
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर के स्वच्छ एवं विकसित शहर के रूप में उभरने की यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वच्छ इंदौर अब हमारे नागरिक संस्कारों में आ गया है। इंदौर का हर व्यक्ति सफाई मित्र है। कचरे से सीएनजी गैस और खाद बनाकर नगर निगम आय भी अर्जित कर रहा है। उन्होंने बताया कि इंदौर में स्वच्छता अभियान की शुरूआत रहवासी संघ बनाकर की गई। नागरिकों, सामाजिक संगठनों सहित सभी संबंधित लोगों से चर्चा कर यह निर्णय लिया गया कि शहर में कहीं भी कचरा नहीं दिखना चाहिये। साथ ही दण्ड और पुरस्कार की भी योजना बनाई गई। रात्रिकालीन सफाई शुरू की गई और घर में ही गीले और सूखे कचरे के सेग्रीगेशन की व्यवस्था की गई। कचरा वाहनों में जीपीएस लगाये गये।
विषय विशेषज्ञो ने भी मंत्रियों को पढ़ाया
एसोसिएट मैनेजर कैपेसिटी बिल्डिंग कमीशन सुश्री श्वेता सिंह ने सतत विकास लक्ष्य एवं मिशन कर्मयोगी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिशन का उद्देश्य है कि सिविल सेवक वेतनभोगी नहीं, कर्मयोगी बनें। सुश्री सिंह ने कहा कि नियम आधारित के स्थान पर भूमिका आधारित प्रणाली विकसित हो। उन्होंने आई-गाट (I-GOT) विशेष प्रयोजन वाहन के बारे में भी बताया। अपर सचिव सुधीर कोचर ने राज्य स्तरीय प्रशासनिक संरचना विषय पर जानकारी दी। उन्होंने प्रशासनिक प्रक्रिया और प्रशासनिक शब्दावली की जानकारी भी दी। दुष्यंत सिंह ने भी सोशल मीडिया प्रबंधन, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ समन्वय पर और वाय. के. पाठक ने सुशासन में प्रोद्योगिकी का महत्व ई-ऑफिस, भण्डार क्रम प्रक्रिया ई-टेंडरिंग नियम तथा जेम की जानकारी दी।
सत्र के अंत में डॉ. महेन्द्र सिंह ने व्यापक और ज्ञानपरक जानकारी दी।