मेघा पाटकर का बड़वानी में अनशन सरकार के लिए चुनती बना
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 31 अगस्त। नर्मदा नदी पर बने बांधों को लेकर वर्षों से आंदोलन कर सरकार की नाक में दम करती ती आ रही मेघा पाटकर एक बार फिर मध्यप्रदेश सरकार के लिए चुनौती बन रही हैं। सरदार सरोवर बांध में अधिक पानी भरने की अनुमति के विरोध में मेघा पाटकर बड़वानी जिले के छोटा बड़दा गांव में एक सप्ताह से अनशन पर बैठीं हैं।
तमाम साथियों के साथ अनशन पर बैठी मेघा पाटकर का आरोप है कि केंद्र और गुजरात सरकार की जिद में 192 गांव डूबने जा रहे हैं। सरकार ने अभी तक इन गांवों के लोगों का पुनर्वास नहीं किया है लेकिन बांध का जल स्तर बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। बांध में पानी का लेवल 134 मीटर से उपर पहुंच चुका है और केंद्र और गुजरात सरकार द्वारा लगातार 32,000 परिवारों को अनदेखा किया जा रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के साथियों द्वारा लगातार अनिश्चितकालीन अनशन जारी है लेकिन सरकार के द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया जा रहा है। बडवानी के कलेक्टर और एसपी ने अनशन स्थल पर पहुँच कर अनशन खत्म करने तथा स्वास्थ्य परीक्षण की अपील की लेकिन सत्याग्रहियों का साफ़ कहना था पहले पानी का लेवल कम किया जाये और पुनर्वास की व्यवस्था किया जाये उसके बाद ही बांध में 138.68 मीटर तक पानी भरा जाए। इस पर बडवानी कलेक्टर द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया गया।नर्मदा चुनौती सत्याग्रह के समर्थन में देश भर से समर्थन मिल रहा है । मध्यप्रदेश सोशलिस्ट पार्टी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर बिना पुनर्वास डूब की निंदा की तथा बांध के गेट खोलने की मांग की। राजस्थान के शुक्लावास में अनशन के समर्थन में धरना किया गया। तमिलनाडू के चेन्नई में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, तथा पर्यावरणवादी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। अनशन स्थल पर पहुंचे वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्त्ता चिन्मय मिश्र ने भी नर्मदा चुनौती अनशन को समर्थन दिया और बिना पुनर्वास डूब के खिलाफ केंद्र और गुजरात सरकार को भी बांध में बिना पुनर्वास 32,000 परिवारों को अनदेखा किया जा रहा है , और राज्य की सरकार को भी मौन रहने पर सवाल खड़ा किया।