मालवा से विंध्य में शिफ्ट होता आतंक का नेटवर्क
सुमन "रमन"
मध्यप्रदेश पुलिस की एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वाड) इकाई द्वारा प्रदेश के विभिन्न शहरों से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के संदिग्ध मददगारों की गिरफ्तारी में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए गए हैं। अभी तक तक जितनी जानकारियां एटीएस को इन जासूसों से मिल पाई हैं, उससे एक बड़ा खुलासा यह भी हुआ है कि मध्यप्रदेश में आतंक का नेटवर्क मालवा अंचल से विंध्य अंचल में शिफ्ट हो रहा है।
एसटीएस द्वारा पकड़े गए आईएसआई के जासूसों में अधिकांश विंध्य क्षेत्र से जुड़े हैं। इनका मुख्य डीलर बलराम सतना का रहने वाला है। बलराम सतना में बैठकर ही पूरे नेटवर्क को ऑपरेट करता था। यहीं से पैसा कश्मीर में आतंकियों को पहुंचा देता था। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के हैंडलर भी सतना में ही बलराम को आर्थिक मदद पहुंचाते थे। बलराम की मदद करने वाला आरोपी रज्जन तिवारी भी सतना का ही है। रज्जन पर यह आरोप भी है कि उसने कई ग्रामीणों के जन-धन खाते खुलवा कर पैसों का लेनदेन किया है। इन जन-धन खातों के माध्यम से पैसा उन लोगों को पहुंचाया जता था, जिनके लिए ऊपर से निर्देश होते थे। इन खातों में पैसा आईएसआई हैंडलर द्वारा हवाला के जरिए आता था। एटीएस अभी तक जितने तथ्य बता रही है उसे देखते हुए यह बात तय मानी जा सकती है कि इस काम में बलराम की मदद रज्जन अकेले नहीं करता होगा। जन-धन खाते ग्रामीण क्षेत्रों में खुलवाए गए थे जो यह इशारा करते हैं कि नेटवर्क में और भी कई लोग शामिल होंगे। एटीएस को भी इस बात की आशंका है और उसके राडार पर आधा दर्जन लोग हैं।
विंध्य क्षेत्र में पहली बार इस तरह का कोई नेटवर्क पकड़ा गया है जो आतंक के लिए काम करता है। मध्यप्रदेश में अभी तक इस तरह का काम मालवा अंचल में ही होते पाया जाता था। यहां तक कि हिन्दुस्तान में आईएसआई की शह पर काम करने वाले संगठन सिमी का गढ़ भी मालवा में है। पिछले कुछ सालों में सरकार ने सिमी के गढ़ को ध्वस्त करने में काफी सफलता हासिल की है। इसके साथ ही आरएसएस जैसे संगठन इस इलाके में सक्रिय हुए हैं, जिनसे सिमी में थोड़ी दहशत हुई है। इसके चलते सिमी को हथियारों, अफीम एवं अन्य तरह की तस्करी वाले कामों में दिक्कत होने लगी है। संभवतः इसी के चलते सिमी अपना नेटवर्क विंध्य की ओर शिफ्ट कर रही है। मध्यप्रदेश में आज भी विंध्य क्षेत्र वह इलाका है जहां विकास की गति बहुत धीमी है। आज भी इस इलाके में औद्योगिक क्रांति की झलक दिखलाई नहीं पड़ती। रोजगार के अवसरों का बेहद अभाव है। यहां राजनीति में जातीय समीकरण बहुत ज्यादा हावी होने के कारण सामाजिक संघर्ष आम बात है। इसीलिए इस इलाके में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे जाति आधारित राजनैतिक दल अपनी पैठ बनाने में सफल हुए हैं। यही कारण है कि आतंक के लिए काम करने वाले संगठनों को विंध्य अंचल न सिर्फ सुरक्षित लगता होगा, बल्कि यहां काम करने के लिए बेरोजगार और जातीय संघर्ष से सताए युवाओं की भीड़ मिलने की भी संभावना रहती है। इसीलिए इस इलाके में आतंक का नेटवर्क धीरे-धीरे पनप रहा है। इसका खुलासा आईएसआई एजेंटों की गिरफ्तारी से हो गया है।
विंध्य क्षेत्र के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि बेरोजगारी और वर्गवाद के चलते इस इलाके में युवाओं को बरगलाना और उन्हें आपराधिक काम में धकेलना आसान है। यही कारण है कि इस इलाके में आज भी डाकू गिरोह काम कर रहे हैं, जबकि डाकुओं की जन्मस्थली कही जाने वाले चंबल में भी उनका सफाया हो गया है। मध्यप्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एससी त्रिपाठी मानते हैं कि सिमी और आईएसआई संगठन समय-समय पर अपनी कार्यशैली और कार्यक्षेत्र दोनों बदलते हैं। इनका साफ्ट टार्गेट पिछड़े इलाके और वहां के बेरोजगार युवक रहते हैं। शायद मध्यप्रदेश में आतंकी संगठन इस समय यही कर रहे हैं।
एीटीएस की नजरें अभी भी विंध्य क्षेत्र पर टिकी हैं और बलराम के लिए नेटवर्क के रूप में काम करने वाले लोगों की तलाश की जा रही है। एटीएस के अधिकारी भी मान रहे हैं कि सिर्फ सतना ही नहीं बल्कि विंध्य के अन्य जिलों में भी इस नेटवर्क के तार फैले हो सकते हैं। इसके साथ ही विंध्य से जुड़े उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती जिलों इलाहाबाद, बनारस, बांदा, मिर्जापुर की पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया है। एटीएस के अधिकारी सीधे तौर पर भले ही न माने लेकिन वो भी मान रहे हैं कि विंध्य क्षेत्र में आतंक का नया नेटवर्क काम कर रहा है। यह सिर्फ विंध्य क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि प्रदेश की पुलिस व सरकार के लिए भी कड़ी चुनौती है। इस तरह के संगठन अपना नेटवर्क धीरे-धीरे लंबे समय में खड़ा करते हैं । अगर विंध्य क्षेत्र में नेटवर्क का विस्तार इतना हो गया है तो इसका मतलब है यह काम काफी दिन से चल रहा होगा। एटीएस की सफलता और नई कोशिशें शायद विंध्याचल को आतंक का गढ़ बनने से रोक पाएं।