मानसून की मेहरबानी नहीं हुई पूरे एमपी में
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 4 अगस्त। मानसून की बेरुखी इस बार मध्यप्रदेश के कई जिलों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। मध्यप्रदेश में मानसून की आमद भले ही समय पर हो गई लेकिन कुछ जिलों को छोड़कर पूरे प्रदेश में पानी झमाझम नहीं बरसा है। इसके चलते अधिकांश जल स्त्रोत अभी भी खाली हैं। इसका असर गर्मी के मौसम में पड़ेगा।
मध्यप्रदेश में इस वर्ष मानसून में अभी तक सिर्फ 7 जिलों में सामान्य से 20 प्रतिशत से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। प्रदेश के 35 जिले ऐसे हैं जहाँ सामान्य वर्षा दर्ज हुई है। कम वर्षा वाले जिलों की संख्या 9 है। अभी तक सामान्य औसत वर्षा 468.2 मिमी दर्ज की गई है जबकि प्रदेश की सामान्य औसत वर्षा 441.2 मिमी है। सामान्य से अधिक वर्षा कटनी, रीवा, झाबुआ, खण्डवा, नीमच, रतलाम और राजगढ़ में दर्ज की गई है। सामान्य वर्षा वाले जिले जबलपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मण्डला, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सिंगरौली, सीधी, सतना, उमरिया, इंदौर, धार, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर, उज्जैन, मंदसौर, देवास, शाजापुर, भिण्ड, गुना अशोकनगर, दतिया, भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा और बैतूल हैं। कम वर्षा वाले जिले बालाघाट, डिंडोरी, शहडोल, अनूपपुर, आगर-मालवा मुरैना, श्योपुर, ग्वालियर और शिवपुरी हैं। मानसून के आंकड़े भले ही बता रहे हैं कि प्रदेश के 35 जिलों में सामान्य वर्षा हुई हैष लेकिन हकीकत यह है कि पानी जिस तरह से रुक रुक कर बरसा है, उससे इन जिलों के जल स्त्रोतों में पर्याप्त पानी नहीं भर पाया है। राजधानी भोपाल के सभी तालाब अभी खाली हैं। मानसून का पैमाना बन चुका बड़ा तालाब अभी भी अपने अधिकतम जल स्तर तक नहीं पहुंचा है। इसी तरह की स्थिति प्रदेश के अन्य शहरों में भी है।