खास मुलाकात:महिला सशक्तीकरण की जरूरत सबसे ज्यादा-कल्पना

Jul 19, 2019

सुमन त्रिपाठी
भोपाल, 19 जुलाई । भोपाल की खूबसूरती, उसकी हरियाली और झीलों से है। इसलिए जरूरी है कि विकास के साथ-साथ इन दोनों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। जिस तरह से दो दशकों से हरियाली घटती जा रही है और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्या बढ़ती जा रही है, ऐसे में हरियाली बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए भोपाल संभाग की कमिश्नर कल्पना श्रीवास्तव ने ‘हरा भोपाल शीतल भोपाल’ नाम से नया अभियान शुरू किया है। लाड़ली लक्ष्मी जैसी ‘माइल स्टोन बन चुकी जन कल्याणकारी योजनाओं की रचनाकार वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी कल्पना श्रीवास्तव भोपाल शहर के साथ पूरे संभाग के सर्वांगीण विकास के लिए चिन्ता करते हुए बहुत सी योजनाओं पर काम कर रही हैं। वे मानती हैं कि महिला सशक्तीकरण की बहुत जरूरत है। इस दिशा में ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। प्रस्तुत हैं उनसे हुई खास बातचीत के कुछ अंश-

सवाल- भोपाल का सुनियोजित विकास हो सके इसके लिए आपने क्या प्लान तैयार किया है? क्योंकि भोपाल में बड़ी चुनौती यहां की हरियाली को बचाते हुए विकास करना है।

जवाब- लगतार पेड़ों में आ रही कमी और बढ़ते टेम्प्रेचर को देखते हुए एक योजना ‘ग्रीन भोपाल- कूल भोपाल’ बनाई है। जिसके तहत ही भोपाल के विकास की तरफ ध्यान दिया जा रहा है, क्योंकि लगभग दो दशकों से पूरे संभाग का तापमान बढ़ता ही जा रहा है। कोई भी विकास ट्रेफिक की सुचारू व्यवस्था से लेकर साफ-सफाई, शुद्ध पेयजल आदि पर निर्भर करता है। इसलिए शहर के तालाब को कैसे ठीक-ठाक रखें, पानी का लेवल कैसे रिस्टोर करें आदि देखना होता है। बेसिक योजना शुद्ध और समय पर पानी शहरवासियों को उपलब्ध कराना है।

सवाल- पूरे संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अच्छी नहीं है, भोपाल में हमीदिया और जे.पी. जैसे अस्पतालों में ठीक से मरीजों को सुविधाएं नहीं मिल पातीं। स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए कोई नई योजना?

जवाब- स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किसी नई योजना बनाने का कोई औचित्य नहीं है। बल्कि पहले से सुचारू योजनाओं को ही बेहतर बनाने के लिए अस्पतालों की साफ-सफाई, पर्याप्त स्टॉफ हो, की तरफ ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही इस बात पर भी गौर किया जा रहा है कि अस्पताल में आने वाले हर मरीज को दवाई वहीं से उपलब्ध हो सके, बाहर से उसे दवाईयां न खरीदना पड़ें। पर्याप्त पलंग, स्ट्रेचर, एंबुलेंस आदि पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

सवाल- महिला सुरक्षा और बच्चों के कुपोषण की बड़ी चुनौती है, आप महिला एवं बाल विकास जैसे विभाग की मुखिया रही हैं अब भोपाल संभाग के सभी जिलों में इन दोनों मुद्दों पर क्या करने जा रही हैं?

जवाब- महिला सुरक्षा व बच्चों के कुपोषण की चुनौती तो बेसिक प्रोग्राम का सुचारू संचालन ही है, जिसे लगातार सुधारा जा रहा है। लेकिन इसके अंतर्गत महिला सशक्तिकरण की विशेष आवश्यकता महसूस होती है। इसलिए महिला सशक्तिकरण पर खास ध्यान दिया जा रहा है,  महिलाओं की सुरक्षा, रोजगार आदि दिशा पर ठोस कार्य किए जा रहे हैं जिन्हें गिना पाना असंभव है। हां इसके लिए एक योजना ‘खुशहाल नौनिहाल’ का कांसेप्ट तैयार किया जा रहा है।

सवाल- सभी जिलों में स्कूलों को लेकर शिक्षा बेहतर करने के लिए क्या किसी नई योजना को तैयार किया है, और है तो कौन सी?

जवाब- बच्चों की शिक्षा को बेहतर करने के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करने की दिशा पर ध्यान दे रहे हैं। इस वर्ष अच्छे प्रतिशत से पास होने वाले छात्र-छात्राओं को यहां बुलाकर पुरस्कृत किया गया। वहीं जिन स्कूलों का रिजल्ट शत-प्रतिशत व बेहतर रहा है वहां प्राप्त सुविधों को देखा जा रहा है। बच्चों के लिए पीने योग्य पानी की व्यवस्था, साफ-सफाई एवं जहां शौचालय तो हैं पर पानी नहीं, वहां पानी की पर्याप्त उपलब्धता, खेल मैदान की तरफ कार्य किया जा रहा है। इन स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए डेटा तैयार किया जा रहा है।

सवाल- स्कूलों, बस स्टॉपों के पास स्थित गुमठियों, सांची या अन्य बूथों पर मादक द्रव्यों के प्राप्त होने की आए दिन सूचनाएं, शिकायतें मिलती रहती हैं जिस कारण स्कूली बच्चे तक इसकी गिरफ्त में आने के समाचार भी मिलते हैं। इसके लिए क्या किया जा रहा है?

जवाब- इसके लिए ‘नवोत्थान’ नोजल बनाया गया है, जिसके जरिए बच्चों को पॉजिविटी की ओर ले जाने का कार्य किया जा रहा है। स्कूलों में बच्चों के माता-पिता को बुलाकर उन्हें इसकी जानकारी दी जाती है। इसके अलावा समय-समय पर ऐसे स्थानों पर चेकिंग आदि कार्य भी किए जाते रहे हैं और आगे भी जारी रहेंगे।

सवाल- किसी भी महिला के लिए एक बड़ी चुनौती परिवार और आफिस को मैनेज करने की होती है। आप बड़े ओहदे पर हैं तब यह चुनौती और बढ़ जाती है तब आप कैसे निपटती हैं?

जवाब- यह मुझे ही नहीं किसी भी वर्किंग वूमैन को परेशानी होती है। लेकिन अपना आफिस कार्य और परिवार के समय के लिए बैलेंस करना पड़ता है। अपने कैरियर और पर्सनल लाइफ को बैलेंस करने में परिवार का पलड़ा भारी होता है और वर्क लाइफ चैलेंज। इसलिए जब जरूरत थी तब भोपाल में रहते हुए कैरियर को स्थिर रहने दिया।

सवाल- इतना लंबा समय हो गया इस सेवा में, क्या महसूस करती हैं?
जवाब- मैं जनसेवा के मकसद से ही इस क्षेत्र में आई, इसलिए लोगों के लिए बेहतर काम करने में मन को बहुत सुकून मिलता है। किसी भी उद्देश्य के पूरा होने पर हैप्पीनेस मिलती है।

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