महिला एवं बाल विकास के अफसरों को यूनीसेफ ने सिखाए गुर

Jul 25, 2019

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 25 जुलाई। बच्चों के अधिकारों के लिए उनकी सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई भी बच्चा सामाजिक सुरक्षा और सुरक्षा तंत्र से न छूटे। महिला-बाल विकास मंत्री श्रीमती इमरती देवी ने आज होटल पलाश में तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए यह बात कही। श्रीमती इमरती देवी ने कहा कि 18 वर्ष के पहले अगर लडकी की शादी की जाती है, तो उसका जीवन गंभीर परिस्थिति में पहुँच जाता है। कम उम्र में गर्भवती होने से बच्चियों में कुपोषण को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश होनी चाहिए कि बहुत छोटी उम्र में आश्रम में आने वाले अनाथ बच्चों को जल्द ही उनके परिवार से मिलायें।

यूनिसेफ के माइकल जुमा ने कहा कि यह हमारी प्रतिबद्धता है कि बच्चों के अधिकार सुरक्षित रहें। उन्होंने कहा कि भारत में बच्चों के अधिकार सुरक्षित करने के लिए कानून और योजनाएँ बनाई गई हैं। इन पर अमल करना न सिर्फ महत्वपूर्ण है बल्कि जिले और ब्लाक स्तर पर भी सभी अधिकारियों को इसके लिए काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा यूनिसेफ और महिला-बाल विकास प्रदेश में बच्चों के खिलाफ बढ़ रही हिंसा को रोकने और बच्चों को सुरक्षित माहौल देने के लिये काम कर रहे हैं। श्री जुमा ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी है कि समुदाय और तंत्र को कानूनी प्रावधानों के प्रति जागरूक करें। उन्होंने बताया कि बाल-विवाह को रोकने के लिए महिला-बाल विकास विभाग और यूनिसेफ मिलकर कार्य-योजना तैयार कर रहे हैं, जिसमें सभी विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की जायेगी।

प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास अनुपम राजन ने कहा कि बच्चों को उनके अधिकार नहीं मिलना भी हिंसा की एक श्रेणी हैं और व्यवस्था से जुड़े सभी लोग इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सफलता इसमें है कि हमारे झूला घरों में एक भी बच्चा न हो, सभी को पूरा परिवार मिले। श्री राजन ने कहा कि बच्चों के समग्र विकास और उन्हें सशक्त तथा जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए सक्षम और सुरक्षात्मक वातावरण बनाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। आयुक्त महिला-बाल विकास एम.बी. ओझा ने कहा कि बाल संरक्षण के कार्य का ज्ञान होना आवश्यक है। सिर्फ निरीक्षण से सफलता हासिल नहीं होगी। कार्य की बेहतर मॉनिटरिंग से ही हमें परिणाम हासिल होंगे। विसंगतियों और लैंगिक अपराधों की रोकथाम के लिए यह कार्यशाला सहायक सिद्ध होगी। यूनिसेफ के बाल सुरक्षा विशेषज्ञ लोलीचेन पी.जे. ने कहा कि कार्यशाला में विभाग और यूनिसेफ मिलकर बाल संरक्षण कानूनों के तकनीकी जानकारी साझा करेगी। प्रशिक्षण कार्यशाला में आईसीपीएस, पोक्सो और जे.जे अधिनियम की जानकारी दी जाएगी। प्रशिक्षण में भोपाल, नर्मदापुरम्, रीवा, शहडोल, भिंड और मुरैना जिले के अधिकारी शामिल हैं। इसके बाद ऐसी कार्यशाला इंदौर, उज्जैन और सागर में भी होगी।

Category: