मप्र में 12 सौ करोड़ यूरो का कर्ज लेकर लगाए जाएंगे बिजली के स्मार्ट मीटर
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 22 जनवरी। मध्यप्रदेश में एक बार फिर बिजली उपभोक्ताओं के मीटर बदलने जा रहे हैं। इस बार स्मार्ट मीटर लगाने का दावा किया जा रहा है। इसके लिए घाटे से गुजर रहीं बिजली कंपनियां 12 सौ करोड़ यूरो का कर्ज जर्मनी की बैंक से ले रही हैं। प्रदेश में बिजली कंपनियां बनने के बाद ही चौथी बार मीटर बदले जा रहे हैं।
सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को खामियाजा बिजली कंपनियों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियां जिस तरह का ए.आर.आर. विद्युत नियामक आयोग के सामने हर साल पेश कर रही हैं, उससे साफ है कि कंपनियों की माली हालत बहुत खस्ता है। ऐसे में बिजली चोरी रोकने के लिए मीटर बदलने का फैसला लिया गया है। अब तीन कंपनियां अपने उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट बिजली मीटर लगाएंगी। तीनों कंपनियों की ओर से यह काम मप्र पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा किया जाएगा। इस काम के लिए धन की व्यवस्था कर्ज लेकर की जा रही है। जर्मनी की बैंक से इसके लिए 12 सौ करोड़ यूरो का कर्ज लिया जा रहा है। कंपनी का दावा है कि नए मीटर से बिजली उपभोक्ता चौबीसो घंटे कंपनी के राडार पर रहेंगे। कंपनी के कंट्रोल रूम में मीटर का सारा डाटा दिखाई देगा और वहीं से इसे आपेरट किया जा सके। इससे चोरी रुकेगी और आय बढ़ेगी। कंपनी का तर्क बिजली कर्मचारियों को रास नहीं आ रहा है। उनका कहना है कि कंपनियां पहले भी मीटर बदलने काम काम कर चुकीं हैं। यह एक तरह का खेल बन गया है।
बीते दो दशक में मध्यप्रदेश में कई बार बिजली के मीटर बदले जा चुके हैं। मध्यप्रदेश बिजली बोर्ड के स्थान पर बिजली कंपनियां बनने के बाद ही तीन बार मीटर बदले जा चुके हैं। पहले पुराने मीटरों के स्थान पर इलेक्ट्रो मैकेनिकल मीटर लगाए गए। उनकी गारंटी मियाद खत्म होने के पहले ही उनके स्थान पर इलेक्ट्रानिक मीटर लगाए दिए। कुछ समय बाद इसी श्रेणी के अपग्रेडेड मीटर लगाने के काम शुरू हो गया। पूरे प्रदेश में मीटरीकरण की एक व्यस्था खत्म होने के पहले दूसरे मीटर लगाने की घोषणा हो जाती है।मीटर खरीदी में घोटालों का आरोप पुराना है। वर्ष 1996 में हुई मीटर खरीदी के घोटाले में कोर्ट 2011 में मंडल के तीन बड़े अधिकारियों को सजा भी सुना चुका है। इस सबको देखते हुए मीटर बदलने पर विपक्ष को शक हो रहा है।
बिजली कंपनियां भले ही मीटर खरीदी के पीछे बिजली चोरी स्मार्ट तरीके से रोककर कंपनियों की माली हालत ठीक करने का तर्क दे रही हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में बिजली मीटर खरीदी का पुराना इतिहास कई शंकाओं को जन्म दे रहा है।