मप्र में माफिया के हौसले बुलंद सीएम की सख्ती हो रही बेअसर

Feb 16, 2021

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 16 फरवरी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों हर मंच से माफिया को धमकी भरी चुनौती दे रहे हैं। उनका साफ कहना है कि माफिया या तो अपने काम बंद कर दें या फिरमध्यप्रदेश छोड़ दें। ऐसे नहीं करने पर उन्हें 10 फीट जमीन के अंदर गाड़ दिया जाए। लेकिन मुख्यमंत्री की आवाज मैदानी प्रशासन के जरिए माफियाओं तक शायद नहीं पहुंच पा रही है, तभी तो वह धड़ल्ले से अपने काम में जुटा है। मप्र में माफिया रोज अपने कारनामों से उल्टे सरकार को चुनौती दे रहे हैं।

मध्यप्रदेश में सबसे लंबी पारी खेलने का रिकार्ड बनाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान…प्रदेश के माफिया को उन्होंने जिन कड़े तेवरों के साथ धमकी दी है, उससे यह लगता है कि अब मध्यप्रदेश में माफिया चूहे की तरह बिलों में घुस जाएंगे। लेकिन पिछले कुछ दिनों में रेत माफिया, भू माफिया, खनन माफिया ने जिस तरह सिर उठाकर कारनामें किए हैं, उससे लगता है कि माफिया अब ज्यादा सक्रिय हो गया है। ग्वालियर चंबल संभाग में रेत माफिया  और वन माफिया ने एक पखवाड़े में चार बार पुलिस और फारेस्ट की टीम पर हमला बोला है। ग्वालियर में इसी शुक्रवार को रेत माफिया ने पुलिस पार्टी पर गोलियां चलाई जिससे पांच पुलिस वाले घायल हो गए। देवास जिले में फारेस्ट माफिया ने वन रक्षक की ड्यूटी के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी। ऐसे में सरकार के माफिया को गाड़ देने और टांग देने के दावे पर सवाल उठना स्वाभाविक है। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने ट्वीट करके कहा कि माफिया को नेस्तानाबूत करने की सरकार की सारी बातें जुमला साबित हो रही हैं। कांग्रेस इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आक्रामक होकर आरोप लगा रही है। वहीं सत्तारूढ भाजपा अभी भी दावा कर रही है कि मुख्यमंत्री माफिया को लेकर दो टूक चेतवानी दे चुके हैं। माफिया के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रशासन को खुली छूट दी गई है। इसके परिणाम निकल रहे हैं और माफिया को नेस्तानाबूत किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस तो अपनी खीज निकाल रही है।  इसमें कोई दो राय नहीं है कि मुख्यमंत्री माफिया के खिलाफ सख्त हैं। माफिया के खिलाफ प्रदेश में सख्त कार्रवाई भी हो रही है, इसके बाद भी माफिया जिस तरह से कारनामें कर रहा है उससे साफ लगता है कि कोई तो उन्हें संरक्षण दे रहा है। सरकार को माफिया के सफाए से पहले ऐसे संरक्षणदाताओँ और नेटवर्क का खात्मा करना चाहिए।

 

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