मप्र में आदिवासी दिवस की सरकारी छुट्टी न होने से मचा सियासी बवाल
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 9 अगस्त। विश्व आदिवासी दिवस पर मध्य प्रदेश में सरकारी अवकाश को लेकर सियासी बवाल मचा है। विश्व आदिवासी दिवस पर शासकीय अवकाश की घोषणा 2019 में प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने की थी। बाद में सत्तारूढ़ हुई भाजपा सरकार ने इस अवकाश को बंद कर दिया। केंद्र के निर्देश पर उस समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिरसामुंडा की जयंती पर अवकाश शुरू कर दिया।
इस समय मप्र,छत्तीसगढ़, राजस्थान में भाजपा की सरकारें हैं। तीन साल पहले तीनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें थीं। तब विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश की घोषणा हुई थी। मप्र में सरकार बदल गई और भाजपा शासन में आ गई। सरकार बदलते ही अवकाश बंद कर दिया गया जबकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में अवकाश की परंपरा चलती रही। इस बार तीनों राज्यों में भाजपा सत्तारूढ़ है। इसके बाद भी छत्तीसगढ़ और राजस्थान मे सार्वजनिक अवकाश य़थावत है लेकिन मप्र में अवकाश नहीं रहा। इस पूर्व सीएम कमलनाथ ने प्रदेश सरकार को घेरते हुए आदिवासी विरोधी करार दिया है। कमलनाथ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- 'आप सबको विदित है कि प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी तो 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस का अवकाश घोषित किया गया था। बाद में भारतीय जनता पार्टी सरकार ने इस अवकाश को समाप्त कर दिया। मैंने 25 जुलाई 2024 को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव से यह अवकाश घोषित करने की मांग की थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
पूरी दुनिया में 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जा रहा है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक मध्य प्रदेश में कुल 21.1% आदिवासी जनसंख्या है। ये आबादी पूरे देश में सबसे ज्यादा है। एमपी के झाबुआ, मंडला, खरगोन, धार, बड़वानी, बैतूल, होशंगाबाद, उमरिया, अनूपपुर, सीधी, शहडोल, बालाघाट, हरदा, श्योपुर और ग्वालियर जिलों में मुख्य तौर पर बड़ी संख्या में आदिवासी निवास करते हैं। आदिवासी जनसंख्या के मामले में देश में अव्वल होने के बाद भी मध्यप्रदेश में आदिवासी दिवस पर अवकाश घोषित नहीं होने से मचा बवाल सियासी हंगामा बरपा रहा है।