मप्र : बड़वानी कांड की उच्चस्तरीय जांच, प्रभावितों को पेंशन का ऐलान
भोपाल, 8 दिसंबर । मध्य प्रदेश के बड़वानी जिला अस्पताल में लगे नेत्र शिविर में आंख की दृष्टि गंवाने वाले 40 लोगों को राज्य सरकार आजीवन पांच हजार रुपये मासिक पेंशन देगी और इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को विधानसभा में यह ऐलान किया।
कांग्रेस ने मंगलवार को बड़वानी नेत्र शिविर में हुई लापरवाही को लेकर सदन में स्थगन प्रस्ताव लाया और उपयोग में लाई गई दवाओं के अमानक होने का आरोप लगाते हुए स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा का इस्तीफा मांगा।
मुख्यमंत्री शिवराज का जवाब आने से पहले स्वास्थ्य मंत्री द्वारा जवाब दिए जाने और मुख्यमंत्री के सदन में मौजूद न होने से नाराज कांग्रेस विधायकों ने बहिर्गमन किया। बाद में विपक्ष की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री ने कहा कि बड़वानी की घटना दुखद है, अब आने वाले समय में किसी भी स्थान पर नेत्र शिविर नहीं लगेगा।
उन्होंने आगे कहा कि पीड़ितों की एक आंख की रोशनी गई है। सरकार ने रोशनी गंवाने वालों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद और उपचार का इंतजाम किया है। वहीं इस घटना की तह तक जाना जरूरी है, लिहाजा इसकी उच्चस्तरीय जांच होगी, जिसमें मध्य प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव, इंदौर मेडिकल कॉलेज के प्रतिनिधि और भोपाल एम्स के नेत्र विशेषज्ञ शामिल होंगे। साथ ही प्रभावितों को आजीवन पांच हजार रुपये की मासिक पेंशन दी जाएगी।
शिवराज ने कहा कि इस मामले पर किसी तरह की राजनीति न हो, इसीलिए उन्होंने स्थगन प्रस्ताव को बगैर किसी चर्चा के स्वीकार कर लिया था। वह चाहते हैं कि बड़वानी जैसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। दोषियों को सख्त सजा मिले, यह सबका प्रयास हो।
उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि सभी मिलकर ऐसा प्रयास करें, जिससे इस घटना पर हुई कार्रवाई एक उदाहरण बने।
शिवराज ने कहा कि यह बात सामने आनी चाहिए कि ऑपरेशन थिएटर में गड़बड़ी थी, दवा में गड़बड़ी थी, इसलिए घटना की उच्चस्तरीय जांच होना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रारंभिक तौर पर कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई की जा चुकी है। जब तक दोषियों को सजा नहीं दिला दी जाती, तब तक उनकी सरकार शांत नहीं बैठेगी। स्थिति स्पष्ट होने तक कोई नेत्र शिविर नहीं लगेगा।
इससे पहले, कांग्रेस की ओर से सदन में उपनेता बाला बच्चन, रामनिवास रावत, डॉ. गोविंद सिंह, अजय सिंह व मुकेश नायक ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं।
कांग्रेस का आरोप था कि सरकार के मंत्री और मुख्यमंत्री स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार हैं, अस्तालों में अमानक दवाओं की आपूर्ति हो रही है और यही कारण है बड़वानी हादसे का। सरकार का नौकरशाही पर नियंत्रण नहीं रह गया है।
कांग्रेस विधायकों ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं, इसलिए उनका इस्तीफा होना चाहिए। साथ ही प्रभावितों को पांच हजार रुपये मासिक की पेंशन देने की मांग उठी थी। इसके अलावा इस हादसे के हाईकोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग बनाकर जांच की कराने मांग की गई थी।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की सदन में गैरहाजिरी को मुद्दा बनाया और स्वास्थ्य मंत्री का जवाब सुनने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि जिस पर आरोप है, उसके जवाब का क्या मतलब है। उसके बाद सदन से बहिर्गमन कर गए।
स्वास्थ्य मंत्री मिश्रा ने कांग्रेस पर गरीबों और प्रभावितों के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि जिस आईवाश सॉल्यूशन में गड़बड़ी की बात की जा रही है, उसकी नौ हजार बोतलें मंगाई गई थीं और उनमें से अब तक सात हजार का उपयोग हो चुका है।
इतना ही नहीं, सरकार इस घटना को गंभीरता लेते हुए घटना की जांच करा रही है। नमूनों को जिसमें रुई से लेकर उपयोग में लाई गई सभी दवाएं शामिल हैं। नमूनों को जांच के लिए कोलकाता भेजा गया है।
बड़वानी के सरकारी अस्पताल द्वारा बीते माह नवंबर में आयोजित नेत्र शिविर में कुल 86 लोगों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन हुए थे, इनमें से कुल 45 मरीजों को संक्रमण होने पर इंदौर के अरविंदो और एमवाइएच अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
रविवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के नेत्र विशेषज्ञों का दल पहुंचा था। उसने मरीजों की आंखों की जांच की। एम्स की टीम ने पाया कि ऑपरेशन के दौरान प्रयुक्त आईवाश फ्लूड में गड़बड़ी के कारण 40 मरीजों की आंखों में संक्रमण हो गया। अब उनकी आंखों में रोशनी लौटना मुश्किल है।
इस मामले में सिविल सर्जन, एक चिकित्सक के अलावा पांच अन्य कर्मचारियों को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। कांग्रेस दवा खरीद में शामिल बड़े अफसरों के अलावा स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा मांग रही है।