मप्र : डेयरी नीति का प्रारूप 10 सितंबर को न्यायालय में पेश होगा

Sep 16, 2015

भोपाल, 6 सितम्बर। मध्य प्रदेश में दूध डेयरी कारोबारियों के लिए नीति बनाई जा रही है, जिसका प्रारूप 10 सितम्बर को उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा।

डेयरी प्रतिनिधियों ने रविवार को यहां बताया कि नीति पर विचार-विमर्श करने के लिए डेयरी कारोबारियों और विभिन्न विभागों के अधिकारियों के बीच बैठक हो चुकी है।

जबलपुर में डेयरी का कारोबार करने वालों के प्रतिनिधियों ने आईएएनएस को बताया कि वर्ष 1976 में शहर से डेयरी बाहर कर परियट, सोन और नर्मदा नदी के करीब स्थान चिन्हित कर डेयरी स्थापित की गई थी। जल स्रोतों के प्रदूषित होने का सवाल उठाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. पी. जी. नाजपांडे ने 1997 में एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय में दायर की थी।

डेयरी प्रतिनिधियों के अधिवक्ता अभिजीत भौमिक और राजेश शर्मा ने बताया, "इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पशुपालन, पर्यावरण और नगर प्रशासन विभाग को निर्देश दिया कि वह डेयरी कारोबारियों और याचिकाकर्ता के साथ बैठकर नीति बनाए। दो बार नीति का प्रारूप बनाकर न्यायालय में रखा गया, मगर वह अंतिम रूप नहीं ले पाया।"

भौमिक ने कहा, "तीसरी बार प्रारूप बनाने के लिए शनिवार को भोपाल में बैठक हुई। बैठक में डेयरी कारोबारी, सरकारी अमले के जिम्मेदार अधिकारी बैठे और सभी ने अपनी बात रखी। इसके बाद सरकारी अमला डेयरी नीति का प्रारूप तैयार कर 10 सितम्बर को उच्च न्यायालय में प्रस्तुत करेगा।"

सामाजिक कार्यकर्ता ज्ञान प्रकाश ने आईएएनएस से कहा, "राज्य सरकार के पास डेयरी के लिए प्रावधान है। डेयरी जलस्रोत से 50 व 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए, मगर याचिकाकर्ता ने 500 मीटर की दूरी का तर्क दिया है। विभागीय अधिकारी इस बात का परीक्षण कर रहे हैं, कि क्या होना चाहिए।"

ज्ञान प्रकाश ने आगे कहा, "डेयरी नीति बन जाने से यह तय हो जाएगा कि डेयरी कहां और कैसे स्थापित हो सकती है। जल स्रोत से दूरी और आबादी क्षेत्र से कितनी दूरी पर डेयरी हो, साथ ही डेयरी में किस तरह के इंतजाम हों ताकि प्रदूषण भी न फैले।"

राज्य के अधिकांश हिस्सों में इन्हीं डेयरियों के चलते दूध की आपूर्ति होती है और हजारों परिवारों की रोजी-रोटी का जरिया भी यही है।

लेकिन राज्य में डेयरी कारोबार के लिए कोई नीति नहीं है, यही कारण है कि आबादी के बीच और जलस्रोतों के करीब स्थित डेयरियों को लेकर सवाल उठते रहते हैं। बसाहट का विस्तार होने पर सबसे पहला निशाना डेयरियां बनती हैं, और उनके हटाने का अभियान चलता है।

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