मप्र के नए लोकायुक्त जस्टिस सत्येंद्र सिंह को राज्य़पाल ने दिलाई शपथ
खरी खरी संवाददाता
भोपाल,10 मार्च। हाई कोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह मध्यप्रदेश के नए लोकायुक्त हो गए हैं। रविवार को राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने राजभवन में आयोजित समारोह में जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह को लोकायुक्त के रूप में शपथ दिलाई। मप्र सरकार ने जस्टिस सिंह की नियुक्ति की अधिसूचना एक दिन पहले शनिवार को जारी की थी। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने लोकायुक्त की नियुक्ति को अवैधानिक बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की है। उनका आरोप है कि इस नियुक्ति में नियमानुसार नेता प्रतिपक्ष की राय नहीं ली गई।
मध्यप्रदेश के वर्तमान लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल पिछले साल 17 अक्टूबर को ही पूरा हो गया था। मप्र लोकायुक्त अधिनियम के अनुसार कोई भी लोकायुक्त अपना कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी नए लोकायुक्त की नियुक्ति तक पद पर बना रहेगा। नई नियुक्ति नहीं होने पर लोकायुक्त के कार्यकाल में वृद्धि स्वमेव मान ली जाएगी। वह एक साल तक पद पर बना रह सकता है। लोकायुक्त गुप्ता का कार्यकाल 17 अक्टूबर 2023 को समाप्त हुआ था। वे अभी 31 अगस्त तक अपने पद पर बने रह सकते थे। इन सबके चलते यह माना जा रहा था कि नए लोकायुक्त की नियुक्ति लोकसभा चुनाव के बाद होगी। लेकिन शनिवार को अचानक राज्य सरकार के जीएडी विभाग ने जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह को नया लोकायुक्त बनाए जाने की अधिसूचना राज्यपाल की ओर से जारी कर दी। इसके कुछ घंटों बाद ही रविवार को राजभवन में नए लोकायुक्त का शपथ समारोह भी हो गया। इससे साफ है कि सरकार आचार संहिता लगने के पहले नए लोकायुक्त की नियुक्ति करने की इच्छुक थी।
सरकार की इस जल्दबाजी ने ही इस नियुक्ति को विवादों में ला दिया है। परंपरा है कि लोकायुक्त की नियुक्ति पर फैसला लेने के पहले मुख्यमंत्री प्रदेश के चीफ जस्टिस और नेता प्रतिपक्ष से चर्चा करते हैं। इस चर्चा मे बनी राय के अनुसार ही नए लोकायुक्त की नियुक्ति किए जाने की परंपरा है। लोकायुक्त का कार्यकाल शपथ दिनांक से 6 साल के लिए होता है। कार्यकाल समाप्त होने तक नए लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं होने पर लोकायुक्त एक साल तक अपने पद पर यथावत रह सकते हैं। नए लोकायुक्त जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह 2023 में हाई कोर्ट के न्यायाधीश के पद से रिटायर्ड हुए हैं। वे हाई कोर्ट में प्रिंसिपल रजिस्ट्रार समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। इसके अलावा वे भोपाल जिला न्यायालय में एडीजे के पद पर भी रह चुके हैं।