मध्यप्रदेश में रिकार्ड तोड़ बंपर वोटिंग से सियासी आकलन प्रभावित
खरीखरी संवाददाता
भोपाल, 18 नवंबर। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में हुई बंपर वोटिंग ने सियासी पंडितों के सारे अनुमान प्रभावित कर दिए हैं। अब दावे के साथ कोई आकलन नहीं किया जा रहा है। कहीं बंपर वोटिंग को भाजपा की लाड़ली बहना का प्रभाव माना जा रहा है तो कहीं कांग्रेस की ओल्ड पेंशन योजना की बहाली के वायदे असर बताया जा रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों इसी आधार पर अपनी अपनी जीत का दावा कर रही हैं।
मप्र में इस बार प्रदेश के 5 करोड़ 60 लाख से ज्यादा मतदाताओं में से 76.22 प्रतिशत वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग कर 66 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। इस रिकॉर्ड वोटिंग को लेकर तरह-तरह के कयास लगाया जा रहे हैं। भाजपा अपनी जीत तो कांग्रेस अपनी जीत का दावा कर रही है। लेकिन वोटिंग प्रतिशत क्यों बढ़ा है इस पर कोई स्पष्ट बात नहीं कर पा रहा है। वोट प्रतिशत बढऩे से राजनैतिक पंडितों का आंकलन गड़बड़ा गया है। वे इस बात से हैरान है कि वोट बढऩे का वजह लाड़ली यहना योजना मानी जाए या फिर पुरानी पेंशन योजना और यूथ को लेकर कमलनाथ के वायदे को माना जाए। गौरतलब है कि प्रदेश में साल 1957 में हुए पहले चुनाव में सिर्फ 37.17 प्रतिशत ही मतदान हुआ था। वहीं 2023 में यह रिकार्ड 76.22 प्रतिशत पहुंच गया। यानी 66 सालों में करीब 39 प्रतिशत मतदान बढ़ा है। बढ़े मतदान को देखकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। लेकिन बंपर मतदान से कांग्रेस में अधिक उत्साह है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि पिछले 4 चुनावों से ‘जादुई नंबर’ यानी 116 का आंकड़ा पाने के लिए तरस रही कांग्रेस का सूखा दूर होगा।
राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि पोलिंग प्रतिशत बढ़ा है, इसने पुराने अनुमान पर सवाल उठा दिए है।भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख आशीष अग्रवाल का कहना है कि बढ़ा हुआ प्रतिशत गरीब की जिंदगी बदलने वाली योजनाओं और लाड़ली बहना, बेघरों को घरों में बसाने पर मिलने वाले आशीर्वाद और एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी अभियान का परिणाम है। भाजपा ने जनता से जो कहा वो वायदे पूरे किए। पीसीसी चीफ कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पियूष बबेले का कहना है कि जनता भाजपा के झूठे वायदे से त्रस्त आ चुकी है, इसलिए वह वोट डालकर अपनी नाराजगी का इजहार कर रही है। यह बढ़़ा प्रतिशत बदलाव का संकेत है।