मध्यप्रदेश में जल्द महंगी होगी बिजली

Mar 29, 2018

सुमन
भोपाल। महंगाई की मार झेल रहे मध्यप्रदेशवासियों को एक और झटका लगने जा रहा है। मध्यप्रदेश में बिजली की दरें इसी हफ्ते से बढ़ने जा रही हैं। राज्य विद्युत नियामक आयोग की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और कभी भी नई दरों का ऐलान हो सकता है। नई दरें संभवतः एक अप्रैल से लागू भी कर दी जाएंगी।
चुनावी साल में एक ओर सरकार जहां प्रदेश वासियों को तमाम रियायतें और सुविधाएं दे रही है। वहीं विद्यत नियामक आयोग बिजली की दरें बढ़ाने जा रहा है। राज्य सरकार की नजर भी बिजली की प्रस्तावित दरों पर है ताकि उपभोक्ताओं की नाराजगी दूर करने का उपाय खोजा जा सके। इस बार बिजली कंपनियों ने औसतन पंद्रह प्रतिशत दरें बढ़ाने का अनुरोध विद्युत नियामक आयोग को सौंपे गए अपने प्रस्ताव (एआरआर-एनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट) में किया था। नियामक आयोग ने सभी प्रमुख शहरों में जनसुनवाई के बाद अंतिम सुनवाई भोपाल में की। इसके बाद बिजली कंपनियों के प्रस्तावों की समीक्षा की गई है। यह माना जा रहा है कि कंपनियों की मांग के अनुसार पंद्रह फीसदी औसत वृद्धि तो नहीं होगी, लेकिन औसतन 8 फीसदी तक दरें बढ़ाए जाने की उम्मीद है।
नियामक आयोग से जूड़े सूत्रों का कहना है कि दरों में वृद्धि का फाइनल ड्राफ्ट अंतिम चरण में है और बहुत जल्द नई दरों की घोषणा कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि इस बार घरेलू उपभोक्ताओं पर कम बोझ डाला जाएगा। संभवतः चुनावी साल होने के कारण सरकार की कोशिश है दरें कम बढ़ें ताकि उपभोक्ताओं की नाराजगी न बढ़े। सरकार के दबाव के चलते बिजली कंपनियों ने घरेलू श्रेणी में बहुत अधिक वृद्धि के लिए प्रयास नहीं किया है। इसके बावजूद संभावना है कि घरेलू श्रेणी में करीब चाऱ फीसदी दरें बढ़ सकती हैं।
सूत्रों के अनुसार किसानों की श्रेणी में दरें अधिक बढ़ सकती हैं। इस श्रेणी में सरकार पहले से ही पचास फीसदी सब्सिडी देती आई है। इसलिए दरें अधिक होने पर भी किसानों पर कम बोझ पड़ता है और कपंनियों के पास पैसा भी आ जाता है। इस बार भी यही रणनीति अपऩाई जा रही है। किसानों के लिए दरें अधिक हो सकती हैं। बिजली कपंनियों को सरकार अन्य माध्यमों से कमाई कराने के रास्ते खोज रही है ताकि बिजली की दरों में कम वृद्धि से कंपनियों को ज्यादा नुकसान नहीं होने पाए। चुनाव निकल जाने के बाद दरें बढ़ाई जा सकती हैं। फिलहाल सरकार की चिंता चुनाव के पहले लोगों की नाराजगी को रोकना है। सरकार की इस चिंता का असर बिजली के नए टैरिफ प्लान में दिखाई देगा।

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