मंत्री ने खुद की अपनी पैरवी, पर नहीं मिला स्टे

Jul 06, 2017

खरी खरी संवाददाता

ग्वालियर, 5 जुलाई। पेड न्यूज के मामले में चुनाव आयोग द्वारा अयोग्य ठहराए गए प्रदेश के जनसंपर्क एवं संसदीय कार्य मंत्री डा नरोत्तम मिश्रा ने आयोग के फैसले पर स्थगन के लिए मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में वकीलों की हड़ताल के चलते खुद अपनी पैरवी की लेकिन कोर्ट से स्थगन नहीं मिल सका। हाईकोर्ट ने कोई फैसला दिए बिना केस की अगली 10 जुलाई निर्धारित कर दी।

विधानसभा के 2008 के चुनाव में दतिया सीट पर भाजपा के नरोत्तम मिश्रा से पराजित बसपा प्रत्याशी राजेंद्र भारती ने शिकायत की थी कि नरोत्तम मिश्रा ने अखबारों में पेड न्यूज का प्रकाशन करवाया था, जो चुनाव की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। इस मामले में चुनाव आयोग ने हाल ही में फैसला देते हुए शिकायत को सही माना और नरोत्तम मिश्रा का चुनाव शून्य घोषित कर उन्हें तीन साल के लिए अयोग्य ठहरा दिया। मिश्रा इस फैसले के खिलाफ मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंड में चले गए और कहा कि उनका पक्ष आयोग ने ठीक से सुने बिना फैसला सुना दिया। मिश्रा की याचिका पर हुई पहली सुनवाई में हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को अपना पक्ष रखने के लिए वक्त देते हुए मामले की सुनवाई पांच जुलाई तक के लिए टाल दी। हाईकोर्ट से स्टे नहीं मिलने के कारण मिश्रा को अयोग्य ठहराए जाने वाले आयोग के फैसले का गजट नोटीफिकेशन भी हो गया और विधानसभा सचिवालय को भी सूचना भेज दी गई।

इस मामले पर पांच जुलाई को हुई सुनवाई में भी कोई फैसला नहीं हो सका। मामले में राजेंद्र भारती की ओर से पैरवी के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के आने की जानकारी के खिलाफ हाईकोर्ट ग्वालियर के वकील हड़तला पर चले गए। वकीलों की हड़ताल के बाद भी कोर्ट ने मामले की सुनवाई की, जिसमें नरोत्तम मिश्रा ने खुद अपनी पैरवी की। उन्होंने एक बार फिर आयोग द्वारा उनका पक्ष ठीक से नहीं सुने जाने का तर्क देते हुए स्थगन की मांग की। उन्होंने विधानसभा के मानसून सत्र और राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग का हवाला भी दिया। उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालना है और विधान सभा में उपस्थित होना है। चुनाव आयोग ने संभावनाओं के आधार पर मेरे खिलाफ आदेश पारित किया है। इसलिए आयोग के आदेश पर रोक लगाई जाए। याचिका की सुनवाई न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने की।

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के पदाधिकारी और शिकायतकर्ता राजेंद्र भारती ने भी अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने यह कहते हुए सुनवाई की तारीख 10 जुलाई निर्धारित कर दी कि नरोत्तम मिश्रा व राजेन्द्र भारती को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।

वहीं राजेंद्र भारती ने कहा कि  चुनाव आयोग रिप्रजेंटेशन पीपुल्स एक्ट की धारा 10 ए के तहत नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य घोषित कर चुका है। एक अयोग्य व्यक्ति संवैधानिक पद पर बैठकर असंवैधानिक कार्य कर रहा है। दिल्ली से कपिल सिब्बल व विवेक तन्खा को पैरवी करने के लिए उपस्थित होना था, लेकिन वकील हड़ताल पर हैं इसलिए उन्हें नहीं आने दिया गया। यह संवैधानिक मुद्दा है। चुनाव आयोग ने अपना फाइनल फैसला सुनाया है। इस मामले में पूरी बहस के बाद ही कोर्ट कोई फैसला ले। नरोत्तम मिश्रा और चुनाव आयोग के जवाब की कॉपी भी आज ही प्राप्त हुआ है। इसका अध्ययन करने में समय लेगा। इसलिए चुनाव आयोग के फैसले पर रोक न लगाई जाए।

चुनाव आयोग की ओर से लॉ डायरेक्टर विजय कुमार पांडेय कोर्ट में उपस्थित हुए। उन्होंने नरोत्तम मिश्रा की याचिका का जवाब कोर्ट में पेश किया। चुनाव आयोग ने अपने जवाब में कहा कि न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत का पूरा पालन किया गया है। दोनों पक्षों को सुनवाई का पूरा मौका दिया है। आयोग के समक्ष जो भी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, उनका परीक्षण किया गया। हर आधार पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद मेरिट के आधार पर फैसला लिया है।

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