मंत्रियों के यहां नहीं रहेगा पुराना स्टाफ, चहेतों को भी नहीं रखा जाएगा

Jan 25, 2024

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 25 जनवरी। सुशासन का दावा करने वाली मध्यप्रदेश की डा मोहन यादव सरकार उसी दिशा में लगातार कदम बढ़ा रही है। सरकार ने तय किया है कि मंत्रियों के स्टाफ में पुराने लोगों को नहीं रखा जाएगा और मंत्रियों के चहेतों की  नियुक्तियां भी नहीं होंगी। इसलिए मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने पुराने मंत्रियों के स्टाफ की भी अभी तक नियुक्ति के लिए हरी झंडी नहीं दिखाई है, साथ ही चहेतों की नियुक्ति के लिए पंद्रह मंत्रियों की सिफारिशी नोट शीटभी वापस लौटा दी है।

मंत्रियों के यहां से सालों से जमे निजी स्टाफ को लेकर आरएसएस ने आपत्ति जाहिर की है। मंत्रियों के जो स्टाफ काफी समय से था, उसे सत्ता बदलाव के बाद भी मंत्री स्टाफ मे रहने का मौका मिल गया। साल 2018 में बनी कांग्रेस सरकार के मंत्रियों ने पुराने मंत्रियों के स्टाफ को ही रखने में दिलचस्पी दिखाई ताकि मंत्री को काम में दिक्कत न हो तथा वे भाजपा सरकार के कार्यकाल में किए गए कामों के बारे में गोपनीय जानकारियां भी हासिल कर सकें। इसके ररबाद 2020 में सत्ता बदली तो वही स्टाफ भाजपा सरकार के मंत्रियों के पास जमा रहा। इसका कई स्तरों पर नुकसान हुआ जिसका आंकलन संगठन ने बेहतर ढंग से किया। इसलिए सरकार अब उस परंपरा को खत्म करने जा रही है। इस क्रम  में सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने प्रदेश के 15 मंत्रियों की सिफारिश की नोटशीट लौटा दी है। अपने अपने चहेतों के लिए मंत्रियों ने सिफारिशी नोटशीट भेजी थी। सीएम ने मंत्री दिलीप जायसवाल, संपतिया उइके, राकेश सिंह, एंदल सिंह कंसाना, नारायण सिंह कुशवाहा, राकेश शुक्ला, नरेंद्र शिवाजी पटेल, लखन पटेल, इंदर सिंह परमार, चैतन्य काश्यप, प्रतिमा बागरी, प्रहलाद पटेल, कृष्णा गौर और विश्वास सारंग की फाइल लौटा दी है।

गत दिनों कैबिनेट बैठक के बाद सिर्फ पांच मंत्रियों के स्टाफ में नियुक्ति के आदेश निकले हैं। खास बात यह है कि इनमें से कोई भी कर्मचारी पहले कभी किसी मंत्री के स्टाफ में नहीं रहा है। जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री चाहते हैं कि पिछली सरकारों में मंत्रियों स्टाफ में रहे कर्मचारियों को इस बार मंत्री अपने स्टाफ में नहीं रखें। ज्यादातर मंत्रियों के साथ निज सचिव से लेकर विशेष सहायक तक वे अधिकारी कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिनके नियुक्ति आदेश नहीं हुए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की कार्यप्रणाली से यह स्पष्ट हो गया है कि अब मुख्यमंत्री कार्यालय में नए अधिकारी एवं कर्मचारियों की पदस्थापना होगी। मौजूदा स्थिति में सालों से जमे जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें सीएमओ से बाहर किया जा सकता है। या फिर जो कर्मचारी लंबे समय से एक ही दायित्व संभाल रहे थे, उन्हें भी दूसरी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। अधिकारियों की भी सीएमओ में नए सिरे से पदस्थापना होगी।

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