भय्यू जी महाराज पंचतत्व में विलीन, बेटी ने दी मुखाग्नि
खरी खरी संवाददाता
इंदौर, 13 जून। विख्यात आध्यात्मिक संत भय्यूजी महाराज बुधवार को पंचतत्तव में विलीन हो गए। इँदौर के भमोरी घाट श्मशान घाट पर उनकी अंत्येष्टि की गई। उनकी बेटी कुहू ने उन्हें मुखग्नि दी। अंतिम संस्कार की रस्में निभाते समय बेटी कुहू के सब्र का बांध टूट गया और वह फफक कर रो पड़ी। भय्यब महाराज ने एक दिन पर मंगलवार को इँदौर में अपने निवास पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
भय्यू महाराज की पार्थिव देह को अंतिम संस्कार के पहले अंतिम दर्शन के लिए बापट चौराहा स्थित उनके सूर्योदय आश्रम में रखा गया था। यहां केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और पंकजा मुंडे समेत कई हस्तियां उनके अंतिम दर्शन करने पहुंचीं। उनकी अंतिम यात्रा बापट चौराहे स्थित उनके सर्वोदय आश्रम से रवाना हुई, जो 2.52 बजे भमोरी मुक्तिधाम पहुंची। फूलों से सजे वाहन में जैसे ही भय्यू महाराज की अंतिम यात्रा निकली पत्नी आयुषी बिलखते हुए बहवास हो गईं। बेटी कुहू तो शव वाहन में पिता के पास पूरे समय बैठी रही। इसके पहले सुबह 9 बजे बॉम्बे अस्पताल से पार्थिव देह को आश्रम लाया गया, जहां हजारों लोगों ने अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी। महाराष्ट्र और मप्र से कई मंत्री और नेता सहित बड़ी संख्या में उनके भक्त पहुंचे।
भय्यू महाराज की मौत का सस्पेंस अभी भी बना हुआ है। यह आम सोच है कि उनकी पहली पत्नी से हुई बेटी कुहू जो अब किशोरावस्था में है, कि अपनी सौतेली में आयुषी से बिल्कुल नहीं पट रही थी। भय्यू महाराज की पहली पत्नी माधवी का नवंबर 2015 में पुणे में निधन हो गया था। वे महाराष्ट्र के औरंगाबाद की रहने वाली थीं। पहली शादी से उनकी एक बेटी कुहू (18) है। वो पुणे में पढ़ाई कर रही है। भय्यू महाराज ने 30 अप्रैल 2017 को मध्य प्रदेश के शिवपुरी की डॉ. आयुषी के साथ दूसरी शादी की थी। कुहू और सौतेली मां के बीच बढते विवाद ने भय्यू महाराज को तनाव की उस स्थिति में पहुंचा दिया कि उन्होंनेखुदकुशी कर लीभय्यू महाराज 2011 में तब चर्चा में आए जब यूपीए सरकार ने उन्हें दूत बनाकर अन्ना हजारे का अनशन खत्म करवाने के लिए भेजा था। बाद में अन्ना ने उनके हाथ से जूस पीकर अनशन तोड़ा था। उस वक्त उनके साथ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख भी थे।
सितंबर 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी सद्भावना उपवास पर बैठे थे। तब उपवास खुलवाने के लिए उन्होंने भय्यू महाराज को आमंत्रित किया था। भय्यू महाराज का मूल नाम उदयसिंह देखमुख था। वे शुजालपुर के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। भय्यू महाराज ने कभी कपड़ों के एक ब्रांड के विज्ञापन के लिए मॉडलिंग भी की थी। सद्गुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट उनकी ही देखरेख में चलता था। उनका मुख्य आश्रम इंदौर के बापट चौराहे पर है। वे लक्जीरियस लाइफ जीने वाले गृहस्थ संत थे। उनके आश्रम की सालाना आय़ करोड़ों में है। यह माना जा रहा है कि संपत्ति विवाद भी मौत का बड़ा कारण हो सकता है।