बांधवगढ़ मैं दस हाथियों की मौत से सरकारी तंत्र सवालों के घेरे में

Nov 02, 2024

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 2 नवंबर। बाघों की उच्च घनत्व वाली आबादी के लिए दुनियाभर में मशहूर मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ नेशनल पार्क में तीन दिन के भीतर 10 हाथियों की मौत ने पूरे सरकारी तंत्र को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। हाथियों की मौत का प्रारंभिक कारण फंगस लगी कोदो की फसल खाना बताया जा रहा है, जो खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री के गले नहीं उतर रहा है। इसलिए सीएम डा मोहन यादव ने प्रदेश के वन मंत्री और आला अफसरों को मौके पर पहुंच कर सही रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश पर वन राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार, वन महकमे के एसीएस अशोक वर्णवाल (आईएएस) और वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव (आईएफएस) मौके पर पहुंचकर मामले की जांच करेंगे।  मुख्यमंत्री मोहन यादव का कहना है कि दोषियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाएगी।

वन विभाग के मुताबिक, सबसे पहले 29 अक्टूबर को विभाग की टीम को 4 हाथी मृत अवस्था में मिले थे, जबकि 6 अन्य हाथी गंभीर रूप से बीमार थे। बीमार हाथियों का इलाज चल रहा था, लेकिन अगले ही दिन मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर के कारण चार और हाथियों की मौत हो गई, और 31 अक्टूबर को बाकी के दो हाथियों ने दम तोड़ दिया। ये सभी हाथी 13 हाथियों के एक झुंड का हिस्सा थे। झुंडे के बचे हुए तीन हाथी स्वस्थ हैं और उन पर नज़र रखी जा रही है।  देश में एक साथ 10 हाथियों की मौत का ये अपनी तरह का पहला मामला है। ऐसे में राज्य से लेकर केंद्र स्तर तक इसकी गहन जांच-पड़ताल चल रही है। बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में स्पेशल टास्क फोर्स, वाइल्डलाइफ़ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के डॉक्टर और विशेषज्ञ इन हाथियों की मौत के कारणों का पता लगाने में जुटे हैं।जबलपुर के स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ़ फॉरेंसिक एंड हेल्थ के डॉक्टरों ने हाथियों का पोस्टमार्टम किया है, और विस्तृत रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है। बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा का कहना है, “इस रिपोर्ट को आने में दो-तीन दिन का समय लग सकता है। हालांकि, इसके लिए आमतौर पर अधिक समय लगता है, लेकिन कोशिश है कि ये जल्द से जल्द आ जाए।”

इस बीच शनिवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एक जांच टीम का गठन किया है।पर्यावरण मंत्रालय के वाइल्ड लाइफ़ कंट्रोल ब्यूरो ने इस टीम का गठन किया है, जो स्वतंत्र जांच करेगी। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वाइल्डलाइफ़) वीएन अम्बार्ड ने पत्रकारों को शुरुआती जानकारी देते हुए बताया कि “पोस्टमार्टम के दौरान मृत हाथियों के पेट में मिले कोदो फसल (मिलेट्स) के दाने मौत का कारण हो सकते हैं। इससे पहले भी मध्य प्रदेश में दूषित मिलेट्स के कारण वन्य जीवों की मौत की छुटपुट घटनाएं हुई हैं। अधिकारियों का कहना है कि आईवीआरआई बरेली, डब्ल्यूआईआई देहरादून, स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब सागर सहित अन्य विशेषज्ञ संस्थानों के साथ बातचीत जारी है। कोदो के ज़हरीले होने की भी जांच की जा रही है। इस बीच, वन विभाग ने इस क्षेत्र में फैली कोदो की फसल को नष्ट करना शुरू कर दिया है। विभाग ने कहा है कि फसल को दो दिनों में नष्ट कराया जाएगा और प्रभावित किसानों को मुआवज़ा दिया जाएगा। इसके अलावा, घटना वाली जगह के 5 किलोमीटर के दायरे में जांच की जा रही है. पानी के स्रोतों की भी जांच की जा रही है कि कहीं पानी में कोई विषैला पदार्थ तो नहीं है। पूरे मामले की जांच के लिए स्टेट टाइगर स्ट्राइक फ़ोर्स, वाइल्डलाइफ़ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो और प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत ने पांच सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है।

स्टेट वाइल्डलाइफ़ बोर्ड के मेंबर संतोष शुक्ला ने भी इन मौतों पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा, “इस तरह एक साथ 10 हाथियों की मौत का मामला पहले कभी नहीं आया है. इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि अब तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि मौत का कारण क्या है।शुक्ला ने ये भी कहा कि इस मामले में शिकारियों की संलिप्तता की जांच भी होनी चाहिए। प्रदेश के वाइल्डलाइफ़ एक्टिविस्ट अजय दुबे का कहना है कि कोदो परंपरागत रूप से हाथियों के भोजन में शामिल रहा है। इसलिए इससे मौत की संभावना कम है। उन्होंने कहा, “अगर आप हाथियों के विचरण वाले इलाकों को देखेंगे, तो ज्यादातर में आदिवासी इलाकों में उगाया गया कोदो-कुटकी देखा जा सकता है। हाथी छत्तीसगढ़ से लेकर मध्य प्रदेश और झारखंड तक कोदो-कुटकी खाते हैं। इसलिए कोदो खाने से 10 हाथियों की मौत का सरकारी दावा कमज़ोर लगता है। ये मामला काफी उलझा हुआ है और इस पर उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई और निर्देश दिया कि घटना की सभी पहलुओं की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय दल तुरंत घटनास्थल पर भेजा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा, “इस घटना में दोषी लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। विपक्ष ने भी सरकार पर तीखे हमले किए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश और राज्य के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार की आलोचना करते हुए इसे वन विभाग की लापरवाही का परिणाम बताया है।