बजट के अभाव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को तीन महीने से नहीं मिला वेतन
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 2 फरवरी। मध्यप्रदेश में महिला एवं बाल कल्याण की सबसे अहम कड़ी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं को तीन माह से वेतन नहीं मिला है। इनकी संख्या लगभग साठ हजार है।
महिला एवं बाल कल्याण से संबंधित सरकार की हर योजना का निचले स्तर तक क्रियान्वयन में महती भूमिका निभाने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओँ और सहायिकाओं को बीते तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि महिला एवं बाल विकास विभाग में बजट की कमी के चलते यह स्थिति बनी है। इसी समस्या के चलते सुपरवाइजर और सीडीपीओ को भी दो माह से मानदेय नहीं मिल पाया है। महिला एवं बाल विकास विभाग के बजट की बड़ी राशि लाड़ली बहना योजना के भुगतान में खर्च हो गई। यह योजना बजट आवंटन के बिना लांच की गई थी। इसने भाजपा की मध्यप्रदेश की सत्ता में वापसी में बड़ी भूमिका निभाई। अब उसी के चलते विभाग को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि विभाग के पास कुछ मदों में भी राशि शेष है, लेकिन उस मद से वेतन या मानदेय बांटने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ेगी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने वित्त विभाग से मंजूरी के लिए पत्र लिखा था, लेकिन वित्त विभाग ने कैबिनेट की मंजूरी का पेंच फंसा दिया। अभी सप्लीमेंट्री बजट पेश होने में समय है, ऐसे में विभाग को वित्तीय संकट से जूझते रहना होगा और कई मदों में राशि होने के बाद विभाग मानदेय और वेतन भुगतान नहीं कर पाएगा।
इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमंते तत्र देवता। अर्थात, जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवताओं का वास होता है। यह हमारी भारतीय संस्कृति का शाश्वत उद्घोष है। लेकिन मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने कसम खा रखी है कि महिलाओं का किसी रूप में सम्मान तो क्या सामान्य जीवन भी व्यतीत न हो सके। प्रदेश के 35 जिलों में कार्यरत 60 हजार से अधिक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को पिछले 3 महीने से मानदेय नहीं मिला है। जब मुख्यमंत्री बार-बार कहते हैं कि प्रदेश में बजट की कमी नहीं है तो फिर मानदेय न देने की और क्या वजह है? उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को तत्काल वेतन का भुगतान किया जाए।