बच्चों के चेहरे पर लगा दी पहचान की मुहर
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 8 अगस्त। सेंट्रल जेल भोपाल के अफसरों ने लापरवाही और अफसरशाही का नमूना पेश करते हुए जेल में बंद पिता से मिलने गए दो बच्चों के चेहरे पर पहचान की लिए मोहर लगा दी। इस मामले पर मीडिया में बवाल मचने के बाद जेल के अधिकारी ने सिर्फ बचकाने तर्क दे रहे हैं बल्कि जिम्मेदारों को बचाने की कोशिश भी शुरू हो गई है। हालांकि जल मंत्री, बाल अधिकार आयोग तथा मानव अधिकार आयोग की सक्रियता के चलते मामले की जांच के आदेश हो गए हैं।
रक्षाबंधन के अवसर पर जेल में बंद लोगों से उनके परिजनों को मिलने की छूट दी जाती है। इसमें जात-पांत अथवा धर्म का खयाल नहीं रखा जाता है, इसलिए वे परिजन भी अपनों से मिलने की चाह में जेल पहुंचते हैं, जो रक्षा बंधन का त्यौहार नहीं मनाते हैं। इसी क्रम में बहुत से लोग जेल में बंद अपनों से मिलने के लिए भोपाल सेंट्रल जेल पहुंचे थे। हर मुलाकाती की पहचान के लिए कोई न कोई पहचान चिन्ह लगाया जाता है। इस कड़ी में भोपाल में मिलने वालों के हाथ पर जेल की सील लगाई जाती है। लेकिन इस बार दो बच्चों के चेहरों पर सील लगा दी गई। इन बच्चों की तस्वीर सामने आने पर बवाल मच गया। इसे इन बच्चों के अधिकारों का हनन माना गया। हंगामा मचने पर जेल प्रशासन ने एक तरह से गलती मान ली लेकिन इसके कारण बड़े ही बचकाने गिनाए। एक अधिकारी का कहना था कि धर्म विशेष के लोग पूरा शरीर ढंके रहते हैं इसलिए चेहरे पर सील लग गई होगी। लेकिन साफ दिखाई दे रहा है कि जिन बच्चों के चेहरों पर सील लगाई गई है, वे शरीर नहीं ढंके थे। जेल प्रशासन का दूसरा तर्क है कि मुलाकात के समय अचानक बारिस शुरू हो गई औऱ भीड़ को अंदर करने के लिए जल्दी जल्दी पहचान सील लगाई गई और जल्दबादी में दोनों बच्चों के चेहरे पर लग गई होगी। जेल प्रशासन का तर्क किसी की समझ से परे था, इसलिए विवाद बढ़ गया और अब इसकी जांच के आदेश हो गए हैं।