नौकराशाही पर निशाने से मध्यप्रदेश की सियासत में नई लड़ाई

Sep 10, 2022

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 10 सितंबर। मध्यप्रदेश की सत्ता में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सियासी हवाओं की बेरुखी सत्ता के गलियारों को सहमा रही है। फाइलों की गति बहुत धीमी है और उम्मीदें आसमान की तरह पांव पसार रही है। ऐसे में वे सवाल सुलग रहे हैं जिनके जवाब किसी के पास नहीं हैं। एक साल बाद चुनाव होने हैं और ऐसे में कोई भी सियासतदार पार्टी नेतृत्व के खिलाफ मुद्दा नहीं उठा सकता है। सत्ता के शीर्ष को चुनौती देना तो और मुश्किल है। इसलिए टारगेट बन रही है, वह नौकरशाही जिसके जवाबदारी तो है लेकिन सियासदारों के प्रति जवाबदेही नहीं है। इसलिए अफसरशाही तक पहुंचती फाइलों की गति धीमी हो जाती है जो सबकी नाराजगी का बड़ा मुद्दा बन जाती है और जुबानी जंग सत्ता के गलियारो में शुरू हो जाती है।

मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने प्रदेश की नौकरशाही के मुखिया चीफ सेकेट्री इकबाल सिंह बैंस पर निशाना साध कर एक तीर से कई शिकार कर डाले हैं। उन्होंने बता दिया है कि सियासी राह में रोड़ा प्रदेश की नौकरशाही बन रही है। उन्होंने यह भी जता दिया है कि प्रदेश में भाजपा की वर्तमान सरकार के ब्रह्मा ज्योतिरादित्य सिंधिया को वह तवज्जो नहीं मिल रही है, जिसकी उम्मीद उनके सिपहसालार लगाए बैठे हैं। उन्होंने अपने आरोपों से यह भी साबित कर दिया कि तमाम घमासान के बावजूद  शिवराज की सत्ता को सीधे चुनौती देने की हिम्मत और हैसियत अभी भाजपा में किसी नहीं बन पाई है। लेकिन साफ लग रहा है कि नौकरशाही तो बहाना है, उनका निशाना कहीं और है। इसलिए विपक्ष में बैठी कांग्रेस को मौका मिल गया सरकार के खिलाफ सवाल करने का... औऱ वह निशाना सीधे सरकार पर साध रही है ।

महेंद्र सिसोदिया का नौकरशाही के खिलाफ बोलना मीडिया की सुर्खियां भले बन गया लेकिन सियासी गलियारों में इसकी धमक वैसी नहीं सुनाई दी जितनी कैलाश विजयवर्गीय के आरोपों के बाद सुनाई दे रही थी। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मध्यप्रदेश भाजपा के दमदार नेताओं में गिने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय खुले आम नौकरशाही पर निशाना साध चुके हैं, वे बड़ी शिद्दत के साथ नौकरशाही के हावी होने का आरोप अपनी सरकार पर भी लगा चुके हैं। यह हिम्मत महेंद्र सिंह सिसोदिया नहीं कर पाए और न ही उनके बाद सक्रिय हुए वृजेंद्र सिंह यादव कर पाए.... इससे भाजपा नेतृत्व को इस चिंगारी की सुलगन पर पानी डालकर इसे आग बनने से रोकने में सफलता मिल गई।

भाजपा ने भले ही नौकरशाही के बहाने सुलगी असंतोष की चिंगारी को आग बनने से रोक लिया है, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अगर मंत्रालय के गलियारों में गूंजते किस्से यूं ही बने रहे तो अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए नौकरशाही पर निशाना साधने को सहजता में टालना सरकार की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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