नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव से खास बातचीत: भाजपा जोड़-तोड़ करके सरकार नहीं गिराएगी
सुमन त्रिपाठी
भोपाल। मतदाताओं के प्रति समर्पण और अपनी दबंग छवि के चलते प्रदेश की सियासत में अलग पहचान बनाने वाले भाजपा के वरिष्ठतम विधायक और मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव मानते हैं कि पार्टी ने उन्हें जो जिम्मेदारी दी है, वे उसका बेहतर निर्वहन कर रहे हैं। अपनी बेवाक बयानबाजी के लिए ख्यात भार्गव का दावा है कि भाजपा जोड़-तोड़ करके न तो वर्तमान सरकार गिराएगी और न ही खुद इस तरह की सरकार बनाकर उसका नेतृत्व करेगी। नेता प्रतिपक्ष ने खरी-खरी से खास बात-चीत में इस तरह के कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। पेश है उनसे हुई बातचीत के संपादित अंश -
सवाल- लगभग आठ माह होने जा रहे हैं लेकिन भाजपा का प्रदर्शन मजबूत प्रतिपक्ष जैसा नहीं दिखाई दे रहा, सिर्फ नेताओं की बयानबाजी हो रही है, ऐसा क्यों?
गोपाल भार्गव- नहीं समय-समय पर जो कार्यक्रम होते हैं इनको हमारी राज्य इकाई या हमारी केंद्रीय इकाई तय करती हैं। इन कार्यक्रमों को बाकायदा क्रियान्वयन किया जा रहा है। लोकसभा चुनाव के पहले ही हम लोगों ने म.प्र. की कांग्रेस पार्टी की सरकार को एक तरह से कहेंगे नंगा करने का काम किया। यही वजह रही कि लोकसभा चुनाव में 29 सीटों में से हमें 28 सीटों पर जीत मिली। समय-समय पर और जो भी कुछ आवश्यक होता है हमारे जिला स्तर पर कार्यक्रम होते हैं। अभी संगठन में हमारी गतिविधियां चल रही हैं। पिछले एक-डेढ़ माह से हम लोगों के सक्रिय सदस्यता, सामान्य सदस्या और अभी मंडलों के चुनाव आ रहे हैं, इसके बाद जिले के चुनाव आ रहे हैं राज्य के प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव होंगे। लगातार होने वाले चुनाव में पार्टी की व्यस्तता तो है और अभी भी 11 सितम्बर को इस सरकार को जगाने के लिए घंटा बजाओ आंदोलन कर रहे हैं। सभी 52 जिलों के कलेक्टरों को ज्ञापन तैयार पत्रकारों के जरिए इन्हें देंगे।
सवाल- कई बार ऐसा आभाष होता है कि नेता प्रतिपक्ष की भूमिका पार्टी में नगण्य हो गई है। इसे राजनीति मानें या फिर व्यापक स्तर पर आपकी कम सक्रियता?
गोपाल भार्गव - नहीं नेता प्रतिपक्ष का जो मूल काम होता है वह विधानसभा सत्र के समय होता है। लीडर अपोजिशन जो होता है वह एक भिन्न प्रकार का पद है जो पार्टी संगठन के कर्त्तव्यों, दायित्वों से भिन्न है। मेरी मुख्य ड्यूटी विधानसभा सत्र के दौरान या विधानसभा प्रश्न जब उठते हैं या समितियों के प्रतिवेदन या विधायी कार्य जब होते हैं उनके बारे में हस्तक्षेप का काम होता है। अभी जो 15 दिन का बजट सत्र था जो पहले ही खत्म हो गया, उसमें सत्र में किसान से संबंधित, बेरोजगारों से संबंधित हो या कानून या अन्य उसमें ध्यानाकर्षण के माध्यम से, प्रश्न उत्तर के माध्यम से बजट पर जो चर्चा हुई सामान्य या विभागवार चर्चा हुई उस पर हमने सरकार को एक्सपरोज करने का काम किया। इस तरह हमारे अपोजिशन के लीडर के तौर पर या प्रतिपक्ष के जो हमारे सदस्य हैं उन सभी ने बेहतर भूमिका निभाई जिससे मैं पूरी तरह संतुष्ट हूं।
सवाल--आपने लंबे समय तक विपक्ष की राजनीति की है, फिर 15 साल तक सत्तारूढ़ रहे और एक बार फिर विपक्ष में हैं। सारी स्थितियों को किस रूप में लेते हैं?
गोपाल भार्गव- जिसको काम करना है और विधायी काम जिसकी समझ में आ गए, उसके लिए सत्तापक्षÞ कोई मायने नहीं रखता फिर अपोजिशन में रहते हुए भी इस बात में कोई कमी नहीं लगती कि हमारी सेहत या कार्य में कोई फर्क आता है। यह प्रश्नोत्तर के माघ्यम से भी, अपनी समझ, विधायी कार्यों के नियम-कानूनी प्रक्रिया, विधि सम्मत से अधिकारियों से काम करने को कहते हैं। न करने पर हमारे पास विधानसभा भी है, रोड भी है, आमसभा भी है, सड़क भी है, हम प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
सवाल-- बार-बार यह बात कही जाती है कि नेता प्रतिपक्ष भले ही गोपाल भार्गव हैं, लेकिन विपक्ष की राजनीति का नेतृत्व शिवराज सिंह चौहान कर रहे हैं, ऐसा क्यों?
गोपाल भार्गव- शिवराज जी इस समय सदस्यता प्रभारी थे। यह 139 की चर्चा थी किसानों की समस्या आदि को लेकर,जो नहीं हो पाई। लेकिन अपने-अपने दायित्व के प्रति सभी लोग जागरुक हैं। हमारे वरिष्ठजन जैसे नरोत्तम मिश्रा, सीताशरण शर्मा, दिग्जिवय शाह जी, विश्वास सारंग, सिसोदिया, भूपेंद्र सिंह जी सभी अपनी-अपनी भूमिका निभा रहे हैं।
सवाल-- अभी तक कमलनाथ सरकार के खिलाफ आप लोग सिर्फ बयानबाजी करते आ रहे हैं कि कभी भी सरकार गिरा देंगे। लेकिन अब यह मजाक सा लगने लगी है, ऐसा क्यों?
गोपाल भार्गव - ऐसा नहीं, बयानबाजी भी आवश्यक है प्रतिक्रिया भी देनी जरूरी है। कई बार अखबार वाले भी कह देते हैं कि सबका यह कहना है, आपका वर्जन चाहिए। सरकार गिराने की बात कभी नहीं कही। सरकार बनाना ही होती तब पहले ही दिन हम कह देते कि सरकार हम बनाएंगे क्योंकि बहुमत न उनको मिला था न हमें। हां कुछ सीटों के ज्यादा होने से हमने ही सरकार बनाने से मना कर उन्हें सरकार बनाने के लिए कह दिया। रही बात जोड़-तोड़ कर सरकार बनाने की तो हम लूली-लंगड़ी सरकार नहीं चलाना चाहते। बात धरना, प्रदर्शन की, हम रोज धरना प्रदर्शन करने लगेंगे, सड़कों पर बैठ कर उन्हें जाम करते रहेंगे, ऐसे में लोग यह कहने लगेंगे कि यह सत्ता के लिए झटपटा रहे हैं, अल्पसमय में ही सरकार को गिराने की बात करने लगे हैं।
सवाल-- सत्तारूढ़ कांग्रेस ने देखते-देखते दो एमएलए तोड़ लिए हैं, अन्य न टूटें इसके लिए क्या उपाय कर रहे हैं?
गोपाल भार्गव - कोई एमएलए नहीं टूट रहे। इन्हीं लोगों का जो झगड़ा है। तीन दिन से पूरी फिल्म चल रही है यह सभी देख रहे हैं। उमंग सिंघार व अन्य उनके विधायक, मंत्री डॉ. गोविंद सिंह व अन्य मंत्री इस प्रकार की बातें कर रहे हैं, अपने नेतृत्व के लिए निराशा में अपनी सरकार के लिए लोगों से क्षमा मांग रहे हैं। उनका खुद का कहना है कि हम चाहते हुए भी रेत का उत्खनन बंद नहीं कर पाए। हमने इसी वायदे से सरकार बना थी। सिंधिया भी यही कह रहे हैं। वहीं सिंघार भी यह कह रहे हैं कि राज्य के उनके पूर्व मंत्री जो उनके नेता हैं वह रेत का काला कारोबार करते हैं, शराब बेचते हैं। जहां तक दो विधायकों की बात है उन्होंने अभी तक बीजेपी से इस्तीफा भी नहीं दिया है और न कांग्रेस ज्वाइन की है।
सवाल-- पार्टी में पुत्रों को स्थापित करने की परम्परा सी बढ़ती जा रही है, उसमें आप भी शामिल दिखाई देते हैं। लेकिन चुनाव के बाद सब शांति सी हो जाती है, ऐसा क्यों?
गोपाल भार्गव - संगठन का यदि विकल्प आएगा कि किसी को रखना है सरकार में या पद पर, विधायक या सांसद, निधानसभा, लोकसभा के चुनाव होते रहते हैं। लेकिन पद से ही राजनीति नहीं होती, आप हर समय सक्रिय रहें पद तो स्वयं आपके पास आएगा। रही पुत्रों की तो पुत्र कौनसा पाप करते हैं, कोई बैठ कर पिता के नाम पर शराब पीए, पैसा ऐंठे, गुंडागर्दी, लुच्चालफंगी करें तब बात समझ आती है। लेकिन जब राजनीति में सहयोग करे लेकिन राजनीति नहीं तब ऐसा कोई मूर्ख नहीं होगा। व्यापारी का बेटा ब्यापारी, सर्विस वाले का बेटा सर्विस ही करेगा।
सवाल- - नेता प्रतिपक्ष शैडो सीएम माना जाता है, अगर पार्टी सत्ता में लौटती है तब शैडो सीएम से सीएम बनने की कितनी उम्मीद आपको है?
गोपाल भार्गव- यह तो पार्टी का विषय है, नेतृत्व का विषय है। इसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा। नेता प्रतिपक्ष के लिए भी मेरा कोई आग्रह नहीं था लेकिन सभी लोगों ने कहा कि यह काम आपको देखना है, आपको पर्याप्त अनुभव भी है और इस विधानसभा में आप सबसे अधिक वरिष्ठ भी हैं। यह मेरे लिए प्रसन्नता की ही बात है कि इस माध्यम से पार्टी की सेवा करने का अवसर मिला।
सवाल- - नेता प्रतिपक्ष के रूप में आपकी अगली क्या योजनाएं हैं?
गोपाल भार्गव - विधानसभा में सरकार को घेरने के लिए विधायकों से नए-नए मुद्दे उठवाने की तैयारी, सरकार में प्रशासन के स्तर पर होने वाली खामियों को उजागर करने, सदन के साथ सड़क पर भी आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। सभी मंत्रियों के पीछे भाजपा के वरिष्ठ विधायकों को लगा कर उनके विभाग के घपले, घोटालों को सामने लाएंगे।
सवाल- - गोपाल भार्गव उन नेताओं में शुमार हैं जो चुनाव के समय घर बैठे रहते हैं और जीतते भी हैं। यह रणनीति क्या अब भी कारगर हो रही है।
गोपाल भार्गव- हां सही है इस बार भी नहीं गया। 15 सालों से मैं चुनाव के समय प्रचार में नहीं जाता। फार्म भरने के बाद में घर जाता हूं और ज्यादा हुआ तो आजू-बाजू के क्षेत्र में प्रचार के लिए चला जाता हूं। 5 साल पूरी भागदौड़ करता हूं चुनाव के समय घर में आराम करता हूं ताकि चुनाव के समय किसी तरह का टेंशन न हो और भगवान की दया से सब ठीक होता है।