नागरिकता संशोधन कानून: मध्यप्रदेश सरकार सड़क पर उतरकर करेगी प्रदर्शन

Dec 21, 2019

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 21 दिसंबर। नागरिकता संशोधन कानून के मुददे पर देश में संवैधानिक टकराव की स्थिति बनती जा रही है। मध्यप्रदेश सहित कई राज्य सरकारें केंद्र सरकार के इस कानून को अपने राज्य में लागू नहीं करने की घोषणा पहले ही कर चुकी हैं। अब इस कानून के खिलाफ राज्य सरकारें सड़कों पर उतर रही हैं। मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार भी दिसंबर दल बल के साथ सड़क पर उतरकर इस कानून के खिलाफ हल्ला बोल करेगी। मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद इस प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे। इसमें पूरी सरकार शामिल होगी।

राज्य सरकारों द्वारा केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाना और लोकतांत्रिक ढंग से विरोध दर्ज कराना सामान्य परंपरा है। दोनों जगह विरोधी दलों की सरकारें होने पर इस तरह के दृश्य अक्सर दिखाई देते हैं। अक्सर योजनाओं का समय पर लाभ न मिलने और वित्तीय आवंटन में भेदभाव के आरोप के साथ ऐसे आंदोलन होते हैं। लेकिन पहली बार केंद्र सरकार के किसी कानून के खिलाफ राज्य सरकार आंदोलन कर रही है। नागरिक संशोधन कानून को लेकर कई अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश की सरकार भी विरोध का झंडा बुलंद कर रही है। इस कानून को अपने यहां किसी भी हालत में लागू नहीं करने की घोषणा पहले ही कर चुकी मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार अब इसके खिलाफ 25 दिसंबर को सड़क पर उतरने जा रही है। विरोध की योजना भले ही संगठन ने बनाई हो लेकिन इस पर अमल सरकार करने जा रही है। मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ आंदोलन की अगुवाई करेंगे। इसमें सभी मंत्री, पार्टी के विधायक, सांसद और पदाधिकारी तथा कार्यकर्ता शामिल होंगे। राज्य सरकार इस कदम को सही ठहरा रही है। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा कहते हैं कि पूरी कांग्रेस केंद्र के इस फैसले के खिलाफ है। हम जनता के साथ खड़े हैं, इसलिए पूरी सरकार मुख्यमंत्री जी कीअगुवाईं में सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगी।

केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में विपक्ष में बैठी है। इसलिए कमलनाथ सरकार का विरोध आंदोलन उसे पच नहीं रहा है। पार्टी का मानना है कि कांग्रेस को सदन में विरोध करना चाहिए था, जब इस कानून पर चर्चा हो रही थी। मप्र भाजपा के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर कहते हैं कि संसद से कानून पास हो जाने के बाद इस तरह सरकार का सड़क पर उतरकर विरोध करना ठीक नहीं है।

केंद्र और राज्य के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है….लेकिन इस बार टकराव जिस मुद्दे पर और जिस स्तर पर है, वह बहुत गंभीर है। इस विवाद का हल भले ही कुछ दिनों में निकल आए… लेकिन दोनों सरकारों के बीच शीत युद्ध खत्म होना मुश्किल है। ऐसे में यह विवाद देश में संवैधानिक संकट खड़ा कर सकता है।

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