नर्मदा तट पर शराबबंदी के फैसले से महिलाएं खुश

Jan 17, 2017

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार का नर्मदा नदी के तट पर शराब की दुकानें बंद करने का फैसला नर्मदा किनारे बसे 16 जिलों के तमाम गांवों के हजारों लोगों को प्रभावित करेगा। लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं। पहली बार सरकार के किसी फैसले के पक्ष में तमाम गांवों के लोग खड़े हो रहे हैं। नर्मदा किनारे बसे गांवों के लोगों, विशेषकर महिलाओं का मानना है कि इस फैसले से इन गांवों में सामाजिक बदलाव आएगा।
'नमामि देवी नर्मदे''-सेवा यात्रा में शामिल हो रहे लोगों ने कहा कि यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह क्रांतिकारी कदम है। नर्मदा सेवा यात्रा 37 दिन बाद होशंगाबाद के डोंगरवाड़ा, हासलपुर, रूंढाल, ताल नगरी, खोकसर और खरखेड़ी पहुँची तो नशाबंदी के निर्णय को लेकर लोगों में उत्साह था। रूंढाल ग्राम पंचायत की सरपंच चंपाबाई ने कहा कि नशा हर बुराई की जड़ है और इसे जड़ से ही मिटाना होगा क्योंकि नशे की आदत कभी भी लग जाती है और फिर छूटती नहीं। नर्मदा के किनारे शराब की दुकान  बंद होने से पूरे प्रदेश में  सामाजिक बदलाव लाने की शुरूआत होगी। तालनगरी ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती माया बाई बताती हैं कि यहाँ से 10 किलोमीटर दूर चावलखेड़ा में शराब की दुकान है। गाँव के लोग वहाँ से शराब आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। अब मुख्यमंत्री के निर्णय से दुकान बंद हो जाएगी। गाँव वालों के लिए बहुत अच्छी बात है। होशंगाबाद जिले से चार किलोमीटर दूर डोंगरवाड़ा ग्राम पंचायत को नशामुक्त ग्राम बनाने के लिए महिलाओं ने संकल्प लिया है।  यहाँ की महिलाओं ने दो साल पहले नशा मुक्ति अभियान शुरू किया था।  उन्होंने  मिलकर दुर्गा नारी नशामुक्ति जागृति समिति बनाई थी।  यहाँ की सरपंच सरोज बाई  बताती हैं कि जो भी पुरुष नशे में दिखाई देता था उसे पहले समझाते थे। यदि नहीं मानता था तो उसकी पिटाई भी महिलाएँ करती थी। ऐसे व्यक्ति के घर वाले भी विरोध नहीं करते थे। अभी काफी फर्क आया है, लेकिन चोरी छिपे अभी भी नशा कर कर रहे हैं। अच्छी बात यह होगी कि अब गाँव में शराब आना ही बंद हो जाएगी।
इस समिति की सबसे सक्रिय सदस्य हैं 60 वर्षीय कृष्णाबाई धुर्वे। उन्होंने नशे की लत के कारण अपने पति और बच्चों को खो दिया है। वह कहती हैं कि इस समिति की सदस्य महिलाएँ हमेशा चौकस रहती हैं। मुख्यमंत्री के शराबबंदी के निर्णय  पर खुशी जाहिर करते हुए वे कहती हैं कि शराब की दुकानें बंद करने से पुण्य का काम हो रहा है। यह जिंदगी बचाने का काम है। अब नई उम्र के बच्चों को नशे से बचाना पड़ेगा। इसी गाँव की अलका राजपूत अपने पति सुभाष राजपूत को नशे की लत से छुड़ाने के लिए समिति में आई थी। अब उनकी हालत में काफी सुधार है। उनकी बेटी अंचल राजपूत बारहवीं कक्षा में है और बेटा अंकित नौवीं कक्षा में पढ़ रहा है। अंचल राजपूत मुख्यमंत्री के शराबबंदी के निर्णय को लेकर उत्साहित हैं और कहती हैं कि आसानी से शराब मिलने पर नशा करने वालों की संख्या भी बढ़ रही थी। उन्हें विश्वास है कि शराब की दुकानें बंद होने से आस-पास के गाँव  पूरी तरह से नशा मुक्त हो जाएंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने नर्मदा नदी के किनारे शराब की दुकानें नहीं खोलने का फैसला लिया तो राज्य के आला अफसर सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि नर्मदा के किनारे 16 जिले पड़ते हैं और इनमें शराब के तमाम पहले से चिन्हित ठेके हैं। अगर इन्हें एक साथ बंद कर दिया गया तो सरकार को राजस्व की बड़ी क्षति होगी, लेकिन मुख्यमंत्री नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान ग्रामीणों से बातचीत करके अपने मन में पहले ही फैसला ले चुके थे कि इन क्षेत्रों को शराब मुक्त कर दिया जाना ही ठीक होगा। इसलिए अफसरों के राजस्व हानि के तर्क से असहमत होते हुए उन्होंने दुकानें बंद करने का ही फैसला लिया। अब इस फैसले के सकारात्मक परिणाम दिखाई पड़ रहे हैं।

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