दूसरे चरण में कम वोटिंग से बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीरें

Apr 27, 2024

 

खरी खरी संवाददाता

 भोपाल, 27 अप्रैल। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में भी कम वोटिंग ने सत्तारूढ़ बीजेपी को चिंता में डाल दिया है, वहीं अपनी पराजय मान चुकी कांग्रेस में कम वोटिंग ने उत्साह भर दिया है। दूसरे चरण में मध्यप्रदेश की 6 सीटों पर वोटिंग हुई थी और सभी सीटों पर वोटिंग पिछले चुनाव की तुलना में घटी है। औसतन करीब 8 फीसदी वोटिंग कम हुई है।

चुनाव के दूसरे चरण में मध्यप्रदेश की 6 सीटों खजुराहो, सतना, रीवा, दमोह, टीकमगढ़ और होशंगाबाद सीटों पर चुनाव थे। पहले चरण में कम वोटिंग से परेशान बीजेपी ने दूसरे चरण में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए तमाम कवायद की थी। पार्टी की चुनावी रणनीति में शामिल बूथ मैनेजमेंट सिस्टम की फिर से समीक्षा की गई। इस सिस्टम से जुड़ी हर कड़ी की बैठकें आयोजित की गई। बूथ स्तर पर सीधे मतदाता से संपर्क, काल सेंटर के जरिये कई स्तर पर मतदाताओं से बातचीत, शक्ति केंद्र, मंडल और जिला स्तर पर किए गए प्रयासों के बाद भी मतदान न बढ़ पाना चिंताजनक है। यह स्थिति तब है, जब विधानसभा चुनाव में पांच महीने पहले 77 प्रतिशत मतदान हुआ था। भीषण गर्मी का असर मतदान पर पड़ना स्वाभाविक था लेकिन पिछले यानी लोकसभा चुनाव-2019 की तुलना में साढ़े सात प्रतिशत कम मतदान होगा, इसकी उम्मीद राजनीतिक दलों को नहीं थी। उम्मीद टूटने की बड़ी वजह यह है कि भाजपा ने पहले चरण में कम मतदान को देखकर इस बार अपने प्रयास तेज कर दिए थे। बीजेपी की चिंता और तैयारियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह वोटिंग के एक दिन पहले देर रात भोपाल पहुंच गए और उन्होंने पार्टी के जिम्मेदारों की बैठक लेकर नए सिरे से व्यूह रचना की। इसके बाद भी वोटिंग का आंकड़ा निराशा जनक रहा। भाजपा कम वोटिंग के बाद भी सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है लेकिन हकीकत यह है कि उसके माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गई हैं। जिन सीटों पर कांटे की टक्कर या कड़ा मुकाबला माना जा रहा था, वहां कम वोटिंग ने सबको सकते में डाल दिया है। इस चुनाव को बेमन से लड़ती मानी जा रही कांग्रेस में कम वोटिंग ने उत्साह भर दिया है। उसे लग रहा है कि कम वोटिंग वोटर का सत्ताविरोधी फैसला हो सकता है। हालांकि बीजेपी शादियों की अधिक संख्या और तेज गर्मी को कम वोटिंग का बड़ा कारण मान रही है, लेकिन विश्लेषकों को यह तर्क गले नहीं उतर रहा क्योंकि पिछली बाद 2019 में भी इसी मौसम में वोटिंग हुई थी। अब शेष बचे दो चरणों के लिए नए सिरे से कवायद में जुट गई है।

 पहले फेज में भी कम वोटिंग हुई

पहले चरण में 67.75 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो कि 2019 के 75.24 फीसदी के मुकाबले 7.47 कम थी। पहले चरण में मध्यप्रदेश की 6 सीटों के लिए भी वोट डाले गए थे। मप्र में चुनावी सरगर्मी और मौसम की गर्मी के बीच हुई वोटिंग में प्रारंभिक आंकड़े आने के बाद आकंड़ा फाइनल होने तक प्रतिशत 70 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और फाइनल आंकड़ा 67.75 प्रतिशत पर अटक गया। पहले चरण में मध्यप्रदेश की 6 सीटों मंडला, बालाघाट, जबलपुर, छिंदवाड़ा, शहडोल और सीधी में मतदान हुआ। इनमें से छिंदवाड़ा सीट पर देश भर की नजरें लगी हैं। यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ के पुत्र नकुल नाथ प्रत्याशी हैं। पहले चरण की चिंता को बीजेपी ने दूसरे चरण में दूर करने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। इसलिए पार्टी के चुनाव प्रबंधकों और रणनीतिकारों की चिंता और बढ़ गई है।

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