दिग्विजय सिंह के बयान मुसीबत बन सकते हैं राजगढ़ में
खरी खरी संवाददाता
राजगढ़, 28 अप्रैल प्रदेश के नहीं बल्कि देश के दिग्गज कांग्रेस नेताओं में शुमार एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की राजगढ़ लोकसभा सीट पर 33 साल बाद प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश में जुटे हैं। यहां उनका मुकाबला भाजपा के रोडमल नागर से है जो मोदी लहर पर सवार होकर पिछले दोनों चुनाव दमदारी के साथ जीत चुके हैं।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि राजगढ़ दिग्विजय सिंह का गढ़ है। उनका गृह नगर गुना जिले का राधौगढ़ विधानसभा क्षेत्र इसी सीट का हिस्सा है। दिग्विजय सिंह खुद इस सीट से सांसद रहे हैं और उनके बाद उनके भाई लक्ष्मण सिंह यहां सांसद चुने गए। बीजेपी के खाते में इस सीट पर तभी सफलता दर्ज हुई जब लक्ष्मण सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ गए बीजेपी प्रत्याशी के रूप में राजगढ़ के चुनाव मैदान में उतरे। उनकी कांग्रेस में वापसी और विधानसभा में जाने के बाद दिग्विजय सिंह समर्थक ही यहां से सांसद चुने गए। लेकिन बीते दो चुनावों से मोदी लहर दिग्विजय सिंह की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रही है। उनके समर्थक भाजपा के सामान्य नेता कहे जाने वाले रोडमल नागर से पराजित हो रहे हैं। पिछले यानि 2019 के चुनाव में राजगढ़ के लोगों को उम्मीद थी कि अगर राजा दिग्विजय सिंह लोकसभा के चुनाव मैदान में उतरते हैं तो राजगढ़ से ही उतरेंगे। लेकिन दिग्विजय सिंह ने उम्मीदों पर पानी फेरते हुए भोपाल से चुनाव लड़ा और राजगढ़ से अपनी खास समर्थक मोना सुस्तानी को टिकट दिलवाया। दिग्विजय सिंह और मोना दोनों को हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी इस बार जनता के मन में यह बात भर रही है कि आपके बुलाने पर भी राजा साहब राजगढ़ नहीं आए तो अब उनके बुलाए पर आप उन्हें वोट देने क्यों जा रहे हैं। दस साल से आपकी सेवा कर रहे रोडमल नागर का जिताइए ताकि मोदी मजबूत हो सकें। बीजेपी का यह ट्रंप कार्ड काम कर रहा है। भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह ने राजगढ़ की जनता को शेर के जरिए संदेश दिया। उन्होंने दिग्विजय सिंह की ओर इशारा करते हुए वोटरों से कहा कि आशिक का जनाजा है जरा धूम से निकले। तभी तो दिग्विजय सिंह सारे काम छोड़कर राजगढ़ में डटे हुए हैं। इसके चलते राजगढ़ हाट सीट बन गई है।
मोदी लहर में दो बार सांसद बने भाजपा के रोडमल नागर और अब तीसरी बार फिर मैदान में हैं। नागर का दावा है कि उन्होंने क्षेत्र में जो विकास कार्य किए हैं, उनके आधार पर जनता उन्हें तीसरी बार संसद भेजेगी। हालांकि, विरोधी उन पर आरोप लगाते हैं कि उन्होंने कुछ भी नहीं किया। इसके बाद भी वे दिग्विजय सिंह को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। भाजपा के चुनावी रणनीतिकार दिग्विजय सिंह के खिलाफ माहौल बनाने की पूरी कोशिश में लग गए हैं। इसके लिए दिग्विजय सिंह के चर्चित बयानों का सहारा लिया जा रहा है। इनमें राम और राममंदिर के खिलाफ उनके बयान या आतंकियों को आदर भाव देने वाले बयान उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। हालांकि दिग्विजय सिंह ने जो बोया है वही काटने राजगढ आए हैं। विश्लेषक मानते हैं कि दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए दलितों को जमीन के पट्टे वितरित किए थे। उन पर दिग्विजय का प्रभाव आज भी है। इसका फायदा उन्हें हो सकता है। लेकिन विश्लेषक यह भी मानते हैं कि दिग्विजय सिंह के बयानों को बीजेपी जिस तरह से वोटरों तक पहुंचा रही है, वह उन्हें नुकसान पहुंचाने वाला है।