दावोस से सौगातें लेकर लौटे सीएम, चार हजार करोड़ का निवेश होगा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 25 जनवरी। मुख्यमंत्री कमलनाथ दावोस में हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सम्मेलन से कई सौगातें लेकर लौटें हैं, लेकिन प्रदेश में सौगातों पर सियासत शुरू हो गई है। सत्तारूढ़ कांग्रेस दावा कर रही है कि सीएम का दावोस दौरा बेहद सफल रहा है और हजारों करोड़ रुपए का निवेश मध्यप्रदेश में आएगा, लेकिन विपक्ष में बैठी भाजपा को इस पर भरोसा नहीं है। भाजपा इसे अफसरों के लवाजमे के साथ की गई मौज मस्ती की विदेश यात्रा बता रही है।
मुख्यमंत्री कमलनाथ पांच दिन की विदेश यात्रा के बाद देश लौट आए हैं। वे दावोस में हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सम्मेलन में भाग लेने गए थे। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने साथ गए प्रतिनिधि मंडल के साथ कई उद्योगपतियों से सामूहिक रूप से और वन टू वन चर्चा की। दावा किया जा रहा है शीर्ष निवेशकों के साथ चर्चा के शुरुआती दौर में ही बड़ी सफलता हासिल करते हुए 4125 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित कर लिया है। मंडीदीप में स्थित दावत फूड कंपनी लिमिटेड को सऊदी सरकार की कंपनी सऊदी अरब एग्रीकल्चर एंड लाइवस्टॉक इन्वेस्टमेंट कंपनी से 125 करोड़ रुपये का सीधा विदेशी निवेश मिला है। इसके अलावा कुल 650 मेगावाट क्षमता की दो केंद्रीय पवन परियोजनाएं भी अनुमोदित हो गई हैं। प्रत्येक परियोजना 325 मेगावाट क्षमता की है। सॉफ्ट बैंक एनर्जी (जापान) द्वारा और एक्टिस (इंग्लैंड) द्वारा क्रियान्वित की जायेगी। इसमें कुल 4000 रुपये का निवेश होगा। कांग्रेस का दावा है कि मुख्यमंत्री दावोस से कई सौगातें लेकर लौटे हैं और इतना बड़ा निवेश मध्यप्रदेश में पहली बार होने जा रहा है। यह मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ के नेतृत्व पर भरोसा है।
कांग्रेस और सरकार दोनों के दावों पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा को भरोसा नहीं है। भाजपा का दावा है कि दावोस में हुए सम्मेलन में सिर्फ बातें हुई हैं। एक भी निवेशक से कोई ठोस बात नहीं हुई है। मुख्यमंत्री इतना बड़ा लवाजमा लेकर गए थे। उसके खर्चे को जस्टीफाई करने के लिए सरकार और कांग्रेस खोखले दावे कर रहे हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जो दावे किए थे, पहले उनको ही निभा ले, तब विदेशों से होने वाले निवेश की बात करे। सरकार खुद सीएम की इस यात्रा में चार हजार करोड़ से ज्यादा के निवेश फाइनल होने के दावा कर रही है। कांग्रेस सरकार के इस दावे के साथ दमदारी से खड़ी है। लेकिन प्रदेश में निवेश के अब तक के दावों का जो हश्र हुआ है, उसके देखते हुए इन दावों पर साल खड़े होना स्वाभाविक है। सवाल भले ही विपक्ष में बैठी भाजपा करे या फिर आम आदमी। सरकार को इसका पुख्ता जवाब देना ही पड़ेगा।