दलितों के दंगे में फंसी भाजपा की किसान यात्रा
सुमन त्रिपाठी
भोपाल, 5 अप्रैल। किसानों को लुभाने के लिए शुरू हुई भाजपा की किसान सम्मान यात्रा प्रदेश में गंभीर रूप लेते जा रहे दलित बनाम सवर्ण विवाद में फंस गई है। पार्टी ने उन क्षेत्रों में यात्रा नहीं निकालने का फैसला लिया है, जहां हालात ठीक नहीं है। इसी के चलते ग्वालियर, भिंड, मुरैना और दतिया ग्रामीण जिलों में यात्रा फिलहाल नहीं निकाली जाएगी।
प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने किसानों को अपने पक्ष में रखने की कवायद तेज कर दी है। इसी के चलते प्रदेश के सभी जिलों में किसान सम्मान यात्रा निकालने का फैसला लिया गया है। यह कार्यक्रम एक अप्रैल से शुरू भी हो चुका है। इसके तहत सभी जिलों में किसान यात्रा निकाली जाएगी। यात्रा उस जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों में जाएगी और रात्रि विश्राम भी गांवों में करके किसानों के साथ बातचीत करेगी। भाजपा का यह अभियान बड़े धूमधाम से शुरू भी हो गई। मुरैना में इसकी शुरुआत करने खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गए थे। लेकिन शुरुआत के बाद ही यात्रा पर काले बादल मंडरा गए। प्रदेश में दलित बनाम सवर्ण विवाद गंभीर हालात में पहुंच गया। विशेषकर ग्वालियर चंबल अंचल में स्थिति इतनी खराब हो गई कि कई लोग मौत के मुंह में समा गए। अभी भी इन क्षेत्रों में शांति नहीं है। अभी दस अप्रैल को सवर्ण वर्ग की ओर से आंदोलन का ऐलान सोशल मीडिया पर किया गया। प्रदेश पुलिस का इंटेलीजेंस महकमा खुद मानकर चल रहा है कि स्थिति बिगड़ सकती है। ऐसे में भाजपा ने अपनी किसान यात्रा का कार्यक्रम बदलना शुरू कर दिया है। फिलहाल ग्वालियर, भिंड, मुरैना और दतिया ग्रामीण जिलों में यात्रा नहीं निकालने का फैसला लिया। इन जिलों में यात्रा का आगाज आज से ही होना था। भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि इन क्षेत्रों की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिय गया है। हालात सामान्य होते ही नया कार्यक्रम तैयार किया जाएगा। भाजपा का मानना है कि प्रदेश के अन्य जिलों में यात्रा अपने पूर्व कार्यक्रम के अनुसार चलती रहेगी, लेकिन जिस तरह प्रदेश में अभी स्थिति बिगड़ने की खुफिया सूचनाएं मिल रही है, उससे लग रहा है कि कुछ और जिलों में स्थिति बिगड़ने पर यात्रा रोकनी न पड़ जाए। प्रदेश भर में यात्राओं का समापन 15 अप्रैल को होना है।