डाली बाय डालीः सल्वाडोर डाली की जिंदगी का सच दिखाती फिल्म

Apr 14, 2018

भारत भवन में फिल्म समारोह चित्रछाया

सुमन त्रिपाठी

भोपाल। भारत भवन में चल रहे दुनिया के मशहूर चित्रकारों के जीवन पर बनी फिल्मों के समारोह चित्रछाया के तहत शुक्रवार को फिल्म डाली बाय डाली का प्रदर्शन किया गया। स्पेऩिश चित्रकार सल्वाडोर डाली के जीवन पर बनी इस फिल्म में डाली के कृतित्व और व्यक्तित्व को पूरी शिद्दत के साथ दिखाने की कोशिश की गई है औऱ फिल्म के निर्माता और निर्देशक इसमें सफल रहे हैं।

दुनिया के बेहतरीन चित्रकारों में गिने जाने वाले सल्वाडोर डाली का जन्म 11 मई 1904 को स्पेन के कैटोलेनिया मे हुआ था। फिल्म में बताया गया है कि डाली ने काफी कम उम्र में चित्रकारी शुरू कर दी थी। उस जमाने में भी उनका काम करने का अपना अलग अंदाज था। उनके हजारों चित्र दुनिया भर में पसंद किए गए और उन्हें भरपूर ख्याति मिली। लेकिन उनकी चित्रकारी की सिरीज वाच (घड़ी) ने उन्हें ज्यादा चर्चित किया। फिल्म डाली बाय डाली उसी घड़ी सीरीज पर आधारित है। इसमें डाली के उन चित्रों के पीछे की कहानी को दिखाने की कोशिश की गई है। घड़ी सिरीज दुनिया के उन पेंटिंग सिरीज में गिनी जाती है जिसकी बिक्री मुंह मांगे दामों पर होती है। आज भी दुनिया के सभी जाने माने संग्रहालयों में डाली की पेंटिंग्स दिखाई पड़ जाएंगी। घड़ी सीरीज की पेंटिंग आज दुर्लभ पेंटिंग्स में गिनी जाती है।

फिल्म बताती है कि डाली अपने चित्रों के लिए किस तरह दुनिया के तमाम देशों में गए,जहां उन्हें खूब आदर सत्कार मिला। कई जगह उन्हें वहीं रुक जाने के आमंत्रण भी मिले, लेकिन डाली ने हमेशा ऐसा आमंत्रमणों को नकार दिया। उनका निधन भी स्पेन के कैटेलेनिया में ही 23 मई को 1989 को हुआ था। डाली के जीवन पर कई फिल्में बनी हैं, लेकिन डाली बाय डाली इसलिए पसंद की जाती है, क्योंकि उसमें उनकी बहुचर्चित पेंटिंग श्रृंखला घड़ी को समाहित किया गया है। यह फिल्म डाली के कृतित्व के साथ उनके व्यक्तित्व को भी बहुत बेहतरीन ढंग से प्रस्तुत करती है। यह फिल्म समारोह भारत भवन के छवि प्रभाग द्वारा उत्कृष्ट सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित किया गया है। इसके तहत दुनिया भर के जाने माने चित्रकारों के जीवन और कार्यों पर बनी फिल्मों का प्रदर्शन किया जा रहा है।

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