टिकट न मिलने पर भिंड में भाजपा के दो दिग्गजों ने पार्टी को अलविदा कहा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 17 अक्टूबर। ग्वालियर चंबल अंचल में पहले से ही मुश्किलों का सामना कर रही भारतीय जनता पार्टी को उसके दिग्गज नेता ही चुनौती दे रहे हैं। अंचल के भिंड जिले से पार्टी के विधायक रहे दो दिग्गज नेता रसाल सिंह और मुन्ना सिंह भदौरीया ने टिकट न मिलने से नाराज होकर पार्टी को अलविदा कह दिया।रसाल सिंह ने बीजेपी छोड़ने के बाद बसपा का दामन थाम लिया।
भिंड जिला कांग्रेसे के दिग्गज नेता और मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डा गोविंद सिंह का इलाका है। वे इस जिले की लहार सीट से विधायक हैं और लंबे समय से अजेय बने हुए हैं। इस बार भाजपा से रसाल सिंह लहार से टिकट मांग रहे थे। रसाल सिंह बीजेपी के टिकट पर चार बार विधायक रहे हैं। वे भिंड जिले की रौन विधानसभा सीट से चारों बार चुने गए। बीते दो चुनाव से उन्हें डा गोविंद सिंह के खिलाफ लहार से मैदान में उतारा जा रहा था और उन्हें दोनों बार पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद भी वे इस बार भी लहार से टिकट मांग रहे थे। लेकिन इस बार पार्टी ने उन्हें टिकट देने के बजाय अंबरीश शर्मा को मैदान में उतार दिया। माना जा रहा है कि टिकट नहीं मिलने से खफा रसाल सिंह उनकी जगह अंबरीश शर्मा को टिकट दिए जाने से और नाराज हो गए। उन्होंने अपनी नाराजगी कई स्थानों पर व्यक्त की लेकिन कहीं कोई असर नहीं पड़ा। इस पर रसाल सिंह ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और उसके बाद बसपा में शामिल हो गए। रसाल सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी में अब निष्ठावान लोगों को किनारे किया जा रहा है और पार्टी के साथ गद्दारी करने वालों की पूछ परख हो रही है। रसाल सिंह भिंड इलाके में बहुत पावरफुल नेता माने जाते हैं।
टिकटों के बंटवारे के बाद बीजेपी में मचे घमासान के बीच भिंड के ही एक और कद्दावर नेता मुन्ना सिंहं भदौरिया ने भी पार्टी छोड़ दी। मुन्ना सिंह भदौरिया ने पार्टी अध्यक्ष वीडी शर्मा को भेजे इस्तीफे में की आरोप लगाए हैं। मुन्ना सिंह भदौरिया भिंड जिले की अटेर सीट से 1990 और 1998 में विधायक रहे हैं। उन्हें इस सीट पर 2003 में हार का सामना करना प़ड़ा था। पार्टी ने इस सीट से सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया को मैदान में उतारा है। मुन्ना सिंह भदौरिया 1998 के बाद विधायक नहीं बन पाए लेकिन पार्टी में उनकी सक्रियता बनी हुई थी। उन्हें 2017-18 में बीज विकास निगम का अध्यक्ष बनाया गया था। वे यूपी चुनाव में इटावा और निवाड़ी सीट के उपचुनाव में प्रभारी थे। दोनों ही स्थानों पर बीजेपी को जीत मिली थी। संगठन ने उन्हें टीकमगढ़ जिले प्रभारी बनाया था और वे इस जिम्मेदारी को इस्तीफा देने तक निभा रहे थे।
दो दिग्गज नेताओं के पार्टी छोड़ देने से चुनाव पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका जताई जा रही है। लेकिन पार्टी के जिम्मेदारों का दावा है कि बीजेपी मे सगठन सर्वोपरि होता है। संगठन का फैसला सबको मानना पड़ता है। रसाल सिंह और मुन्ना सिंह को पार्टी ने भरपूर आदर सत्कार दिया और दोनों नेता विधायक भी बने। इसके बाद पार्टी पर आरोप लगाना ठीक नहीं है।