टिकट के लिए भाजपा कांग्रेस दोनों में घमासान
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 24 अक्टूबर। राज्य की सियासत के दोनों शक्ति केंद्र भाजपा मुख्यालय दीनदयाल परिसर और कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन इस समय अपनों के ही शक्ति प्रदर्शन से गर्माए हुए हैं। टिकट कटने की आशंका से घबड़ाए विधायक और नेता समर्थकों के साथ दमदारी दिखा रहे हैं, तो इस सबके चलते संभावित गुटबाजी की कल्पना से आशंकित पार्टी नेतृत्व सबको साधने की कोशिश कर रहा है। दोनों शक्ति केंद्रों पर यही स्थिति बनने से सत्ता की सियासत इस समय सांसत में है। पार्टी विथ द डिफरेंस का तमगा गले लटकाने वाली प्रदेश की सत्ता पर पंद्रह साल से काबिज भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश मुख्यालय दीनदयाल परिसर नारों से गूंज रहा है। नारेबाजी करती भीड़ इसी पार्टी के उन कार्यकर्ताओं की है जिन्हें अनुशासन का पाठ घुट्टी में पिलाया जाता है, लेकिन सत्ता की शक्ति ने अनुशासन को कहां टांग दिया है, यह साफ दिखाई पड़ रहा है। यह भीड़ उन नेताओं, विधायकों, मंत्रियों के साथ आई है जिनका टिकट इस बार कटना तय है। यह भीड़ उन नेताओं की जागीर भी है जिनको इस बार भी टिकट मिलने की उम्मीद कम है। इसलिए वे शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। भाजपा के दिग्गज नेताओं सरताज सिंह, सतीश मालवीय, सूर्यप्रकाश मीणा, गोपाल परमार, वीर सिंह पंवार, बहादुर सिंह चौहान, मोहन यादव आदि को इस बार टिकट कटने का भय है। उन्हें लग रहा है कि फैसले से पहले शक्ति प्रदर्शन का असर शायद उनका टिकट बचाने में मददगार साबित हो सके। सब नेताओं के अपने अपने तर्क हैं। पार्टी सारे फैसले सैद्धांतिक रूप से कर चुकी है। अपने खुद के सर्वे और संघ की समीक्षा के आधार पार्टी सभी विधायकों और दावेदारों की जमीनी हकीकत जान चुकी है। इसके बाद भी अंतिम फैसले के पहले वह किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती है। क्योंकि उसे चुनाव के समय होने वाली गुटबाजी से बिगड़ने वाले गणित की चिंता है। इसलिए पार्टी नेतृत्व शक्ति प्रदर्शन और अनुशासनहीनता दोनों को हासिए पर रखने की कोशिश कर रहा है।
पंद्रह साल बाद सत्ता में आने को बेताब कांग्रेस में भी कमोबेश यही स्थिति है। सत्ता में वापसी के लिए पार्टी नेतृत्व कई वर्तमान विधायकों का भी टिकट काटने का मन बना चुका है। इसकी भनक लगते ही वे शक्ति प्रदर्शन में जुट गए हैं। वहीं उनके विरोधी टिकट पाने की कोशिश में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। कलह और गुटबाजी का खुला प्रदर्शन सबित कर रहा है कि आल इज नाट वेल... पार्टी के कर्ता धर्ता इस बार रिस्क लेने के मूड में बिल्कुल नहीं है ताकि भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कोई कमी न रह जाए। इसलिए टिकट चाहने वालों के हर अंदाज को नजरअंदाज किया जा रहा है।
पार्टियां दावे चाहे जितने करें लेकिन यह हकीकत है कि उम्मीदवारों की पहली सूची आने में अभी कम से कम एक हफ्ते का समय लगेगा। सूची आने के बाद सियासी दंगल का यह तमाशा और बढ़ेगा। ताल ठोंकते अपने इन पहलवानों को जंग ए मैदान में जाने से रोकने की कोशिश पार्टियां अभी से कर रही हैं।