गुलाल से प्यार का इजहार कराने वाला ट्राइवल वेलेंटाइन फेस्टीवेल भगोरिया शुरू
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 17 मार्च। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में मनाया जाने वाला उल्लास और उमंग का दुनिया भर में मशहूर लोक उत्सव भगोरिया प्रदेश के तीन जिलों झाबुआ, अलीराजपुर और धार जिलों में सोमवार से शुरू हो जाएगा। तीनों जिलों के हाट बाजारों में आने वाले एक सप्ताह तक इस वेलेंटाइन फेस्टीवेल की मस्ती छायी रहेगी। इन मेलों में युवा जोड़े गुलाल लगाकर प्यार का इजहार करते हैं तो पान खिलाकर उसे रिश्ते में बदल देते हैं।
आदिवासी अंचल में होली के एक सप्ताह पूर्व से भगोरिया मेले की परंपरा है। इन मेलों में प्राचीन आदिवासी संस्कृति देखने को मिलती है। आदिवासी अंचल के झाबुआ, आलीराजपुर और धार जिले में सोमवार से भगोरिया लोक उत्सव का उल्लास छाएगा। एक सप्ताह तक नगर, कस्बे और ग्राम में हाट-बाजार के दिन भगोरिया मेले लगेंगे। हजारों की संख्या में पारंपरिक परिधान में आदिवासी समाजजन इन मेलों में शिरकत करेंगे तथा ढोल-मांदल की थाप और बांसुरी की तान पर जमकर थिरकेंगे। भगोरिया पर लिखी कुछ किताबों के अनुसार भगोरिया राजा भोज के समय लगने वाले हाटों को कहा जाता था। इस समय दो भील राजाओं कासूमार औऱ बालून ने अपनी राजधानी भागोर में विशाल मेले औऱ हाट का आयोजन करना शुरू किया। धीरे-धीरे आस-पास के भील राजाओं ने भी इन्हीं का अनुसरण करना शुरू किया जिससे हाट और मेलों को भगोरिया कहने की परंपरा शुरू हो गई। आदिवासी आज भी इस परपंरा का निर्वहन करते हुए मस्ती का यहपर्व मनाते हैं। हालांकि, इस बारे में लोग एकमत नहीं हैं।युवकों की अलग-अलग टोलियां सुबह से ही बांसुरी-ढोल-मांदल बजाते मेले में घूमते हैं। वहीं, आदिवासी लड़कियां हाथों में टैटू गुदवाती हैं। आदिवासी ताड़ी भी पीते हैं। हालांकि, वक्त के साथ मेले का रंग-ढंग बदल गया है। अब आदिवासी लड़के ट्रेडिशनल कपड़ों की बजाय मॉडर्न कपड़ों में ज्यादा नजर आते हैं। मेले में गुजरात और राजस्थान के ग्रामीण भी पहुंचते हैं।
होली के सात दिन पहले मनाए जाने वाले इस उत्सव में आदिवासी समाज खोया रहता है भगोरिया मेला दुनिया का पहला ऐसा मेला होगा, जहां मदमस्त अंदाज और संगीत की धुन पर थिरकते युवा अपने जीवनसाथी की तलाश में निकलते हैं और अपने रिश्ते भी तय करते हैं। मेले में आने वाले युवा एक दूसरे को वहीं पसंद कर गुलाल लगा कर अपने प्यार का इजहार करते हैं। उसके बाद साथी की सहमति और परिजनों की रजमांदी से रिश्ते को पुख्ता करने के लिए एक-दूसरे को पान खिलाते हैं। आदिवासी संस्कृति को विश्व मानचित्र पर जीवंत कर देने वाला भगोरिया पर्व अपने आप में इस तरह की अनगिनत खासियतों को समेटे है।