गायन और नृत्य ने दर्शकों को किया सम्मोहित

Apr 02, 2018

सुमन त्रिपाठी
भोपाल, 1 अप्रैल।मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में परम्परा, नवप्रयोगों एवं नवांकुरों के लिए स्थापित,, श्रृंखला “उत्तराधिकार” में इस रविवार को कलाकारों ने "उपशास्त्रीय गायन" एवं "मोहिनीअट्टम समूह नृत्य" की प्रस्तुतियाँ संग्रहालय सभागार हुई|

आज की संगीत सभा में ग्वालियर घराने के गायक सज्जनलाल भट्ट ‘रसरंग’ एवं उनकी शिष्या दीप्ती गेड़ाम परमार (भोपाल) ने शास्त्रीय, उपशास्त्रीय गायन परम्परा के नवनिर्मित राग और संगीत के विभिन्न पहलुओं के प्रदर्शन से हुई|"चतुरंग" पर आधारित इस सभा में आपने संगीत के चार अंगो को प्रस्तुत किया| जिसमे सर्वप्रथम विलंबित ख्याल एकताल में निबद्ध नवनिर्मित राग, "अनंत कल्याण" की रचना "ए बरजो जी जसोदा नही माने कान्हा..और द्रुत ख्याल एक ताल में "एसो नटखट बलमा मोरा".. की प्रस्तुति दी| इसके पश्चात कलाकारों ने शब्दों के माध्यम से स्वरों की अर्थपूर्ण प्रस्तुति दी और श्रोताओं को मुग्ध किया|
परंपरागत बंदिशों की प्रस्तुति देते हुए राग भोपाली तीन ताल में और राग दरबारी रूपक ताल में निबद्ध रचनाओ को अपने गायन से प्रस्तुत किया, साथ ही कलाकारों ने ग्रीष्म ऋतु का वर्णन करते हुए उपशास्त्रीय एवं लोकगीतों की मिश्रित रचना "चैती" के साथ अपने गायन को विराम दिया|
आज की संगीत सभा में पं.सज्जनलाल भट्ट ‘रसरंग’, भट्ट के साथ उनकी शिष्याओं में दीप्ती गेड़ाम परमार एवं प्रदक्षणा भट्ट ने गायन में साथ दिया| तबले पर निशांत शर्मा ने , हारमोनियम पर चैतन्य भट्ट ने एवं तानपुरे पर मिनाली जैन ने संगत की|

दीप्ती गेड़ाम परमार ने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की, बाद में ग्वालियर घराने के वरिष्ठ गायक डॉ. प्रभाकर गोहदकर के सानिध्य में विशेष रूप से संगीत की बारीकियों को समझा| इन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सांस्कृतिक कला मंचो पर शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया है| वर्तमान में दीप्ती गेड़ाम परमार ग्वालियर घराने के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं. सज्जनलाल भट्ट ‘रसरंग’ से ख्याल-गायकी एवं ठुमरी, टप्पा, दादरा, चतुरंग, त्रिवट आदि का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं|
गुरु शिष्य परम्परा के अंतर्गत अगली प्रस्तुति में गुरु जयश्री नायर के मार्गदर्शन में सुजाता नायर (मुम्बई) एवं उनके शिष्यों ने केरल का मशहूर शास्त्रीय नृत्य ‘मोहिनीअट्टम’ की प्रस्तुति दी|
मंच पर शुरुआत गणेश वंदना के साथ हुई जिसमे कलाकारों ने गणेश के नृतक रूप का अभिवादन किया, इसके पश्चात् कलाकारों ने मोहिनीअट्टम शैली की सबसे विस्तृत रचना "वर्णम" की प्रस्तुति दी| राग–सिहेंद्रमध्यम ताल आदि रचनाओं में नृत्यांगनाओं ने राम स्तुति के साथ अहिल्या मोक्ष, सीता स्वयंवर और शबरी दर्शन का सुन्दर दृश्य अपने नृत्य के माध्यम से मंच पर प्रस्तुत किया| अपनी अंतिम प्रस्तुति के रूप में सुजाता नायर ने अपनी शिष्यों के नव रस की व्यख्या करते हुए नव रसों में आदियोगी भगवान शिव की लीलाओं का सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम का समापन किया|  

आज की प्रस्तुतियों में  मंच पर सुजाता नायर के साथ दिव्या वारियर, जान्हवी प्रेमकुमार, प्रतिभा जगन्नाथन और श्रेष्ठा व्यंकटेश ने नृत्य प्रस्तुत किया|

सुश्री सुजाता नायर ‘संजय उपासना अकादमी ऑफ इंडियन क्लासिकल डांसस, मुंबई’ की संस्थापक एवं निर्देशक श्रीमती जयश्री नायर की पुत्री व शिष्या हैं| सुजाता नायर विगत 20 वर्षों से अपनी माता जी एवं वरिष्ठ गुरुजनों से मोहिनीअट्टम नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं| इन्होंने राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर अनेक महत्वपूर्ण नृत्य समारोह में एवं सांस्कृतिक कला मंचो पर अपने नृत्य का प्रदर्शन किया है।

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