गरीबों के आवास निर्माण पर लगा बदहाल माली हालत का ब्रेक
खरी खरी डेस्क
भोपाल, 10 अक्टूबर। मप्र में शहरी गरीबों के लिए बनाए जाने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना के घरों (ईओडब्ल्यूएस आवास) के निर्माण पर प्रदेश की बदहाल माली हालत का ब्रेक लग गया है। इसके चलते करीब पौने पांच लाख आवासों का निर्माण अधर में अटक गया ह।
गरीबों के लिए बनने वाले इन आवासों के निर्माण के लिए राज्य सरकार को करीब 2900 करोड़ रुपए की जरूरत है , लेकिन धनाभाव में नगरीय प्रशासन विभाग ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने साफ कह दिया है कि यदि इस साल वर्ष 2019-20 में करीब पौने पांच लाख आवास नहीं बने तो वह अपने हिस्से की राशि नहीं देगा, जिसकी वजह से सरकार मुश्किल में पड़ती दिख रही है। इन आवासों को बनाने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने वित्त विभाग से (इसमें केंद्र व राज्य दोनों का अंश) पहले 7500 करोड़ रुपए की मांग की। फिर बाद में संशोधित कर 6500 करोड़ कर दिया। फिर संशोधित कर 6000 करोड़ कर दिया। इसमें से वित्त विभाग ने केंद्रीय मद का 4200 करोड़ रुपए देने का निर्देश जारी कर दिए लेकिन नगरीय प्रशासन विभाग ने पैसा नहीं होने का हवाला देकर हाथ खींच लिए।
मप्र में इसी साल के अंत तक में नगरीय निकाय चुनाव कराना है। ऐसे में वह असमंजस में फंस गई है कि वह ईडब्ल्यूएस आवास पूरा कराएं या फिर अन्य कार्य कराएं। नगरीय प्रशासन विभाग वैसे भी चुनाव की तैयारियों में पीछे चल रही है। ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि सरकार कैसे ईडब्ल्यूएस आवासों को पूरा कराए। यदि सरकार इसी वित्तीय वर्ष में आवासों को पूरा नहीं कराता है तो केंद्र अपने हिस्से की राशि नहीं देगा। केंद्र सरकार ने 2022 तक में देशभर में हाउसिंग फार आल का लक्ष्य तय किया है। इसके तहत ही मप्र में यह आवास बनाए जा रहे हैं। इसमें 60 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार व 40 फीसदी राज्य सरकार वहन करती है। पर राज्य सरकार के खजाने में इतना पैसा भी नहीं है कि वह अपने हिस्से की राशि ईडब्ल्यूएस आवास के लिए दे सके। पैसे ही कमी की वजह से नगरीय प्रशासन विभाग यह भी तय नहीं कर पा रहा है कि आखिर में वह इन आवासों को कैसे बनाए। उस पर से केंद्र सरकार ने भी दबाव बना दिया है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि ईडब्ल्यूएस आवास यदि नहीं बन पाते हैं तो इसके लिए राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी। दरअसल केंद्र सरकार इस योजना को एक तरह से जबरदस्ती संचालित करवाना चाह रही है। इसलिए केंद्र ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकार को अब तक दिए गए लक्ष्य के हिसाब से आवास बनाने के लिए महज इसी वित्तीय वर्ष का मौका है। यदि वह इस वित्तीय वर्ष के अंत तक में आवास नहीं बनाती है तो उसे राशि नहीं दी जाएगी।