कांग्रेस के 229 उम्मीदवार फाइनल, तोमर के खिलाफ तोमर, लोधी के खिलाफ लोधी

Oct 20, 2023

सुमन त्रिपाठी

भोपाल, 20 अक्टूबर। कांग्रेस ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 229 सीटों पर प्रत्याशी फाइनल कर दिए हैं। गुरुवार देर रात जारी कांग्रेस की दूसरी सूची में 88 उम्मीदवारों के नाम थे। इनमें से तीन जगह दतिया, गोटेगांव और पिछोऱ में प्रत्याशी बदले गए। इस तरह 85 नए प्रत्याशियों के नाम इस सूची में हैं। पार्टी की पहली सूची में 144 नाम शामिल थे। इस तरह कुल 229 सीटों पर उम्मीदवार फाइनल हो गए। अब सिर्फ आमला सीट पर प्रत्याशी की घोषणा शेष है। संभवतः डिप्टी कलेक्टर की नौकरी छोड़कर सियासत में आ रही निशा बांगरे को आमला से टिकट दिया जा सकता है। कई विवादों के चलते अभी तक निशा बांगरे का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। मामला हाईकोर्ट में लंबित है।

कांग्रेस की दूसरी और अंतिम सूची में भी कोई बहुत चौंकाने वाला फैसला नहीं है। लेकिन राजनीतिक रूप से देखा जाए तो पार्टी के सभी गुटों को साधने और क्षेत्र में जातीय संतुलन बनाने की कोशिश की गई है। इसी के चलते मुरैना की दिमनी सीट पर केंद्रीय मंत्री औऱ भाजपा प्रत्याशी नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ वर्तमान विधायक रवींद्र सिंह तोमर को उतारा गया है। ग्वालियर अंचल में चल रहे गुर्जर आंदोलन का फायदा मिलने की संभावना में मुरैना से कमलनाथ खेमे के दिनेश गुर्जर को टिकट मिला है। भोपाल में दिग्विजय सिंह की चली है। भोपाल उत्तर से दिग्विजय खेमे के दिग्गज नेता आरिफ अकील के बेटे आतिफ को प्रत्याशी बनाया गय़ा है। भाजपा का गढ़ कही जाने वाली गोविंदपुरा सीट से दिग्विजय सिंह के खास नेता और व्यवसायी रवींद्र साहू को उतारा गया है और भोपाल दक्षिण पश्चिम से पीसी शर्मा एक बार फिर मैदान में हैं। दिग्विजय गुट के ही राजकुमार पटेल को बुधनी के बजाय भोजपुर से प्रत्याशी बनाया गया है। दिग्विजय सिंह के चलते बीजेपी छोड़कर आए दीपक जोशी को खातेगांव से टिकट मिल गया है। वहीं दिग्विजय सिंह की तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए वीरेंद्र सिंह रघुवंशी को टिकट नहीं मिला। पार्टी ने पिछोर का टिकट जरूर बदल दिया, लेकिन केपी सिंह को शिवपुरी से वापस पिछोर लाने के बजाय पूर्व प्रत्याशी शैलेंद्र सिंह के स्थान पर अरविंद लोधी को टिकट दिया गया है। संभवतः बीजेपी प्रत्याशी प्रीतम सिंह लोधी से मुकाबले के लिए लोधी को मैदान में उतारा गया है। केपी सिंह पिछोर से कई चुनाव जीतकर अजेय बने हुए हैं, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें शिवपुरी शिफ्ट कर वहां से बीजेपी प्रत्याशी के रूप में सिंधिया परिवार से किसी के उतरने पर कड़े मुकाबले की तैयारी में यह फैसला लिया है। दतिया से पार्टी  ने प्रत्याशी बदल दिया है। पहली सूची में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए अवधेश नायक को टिकट मिला था, लेकिन कांग्रेस के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती के कड़े विरोध के चलते नायक का टिकट बदलकर भारती को प्रत्याशी बनाया गया है। इस फैसले से ब्राह्मण वोटों का ध्रुवीकरण बीजेपी प्रत्याशी गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पक्ष में होने की संभावना बढ़ गई है।

छिंदवाड़ा जिले में सारे टिकट कमलनाथ की पसंद से दिए गए हैं। इसमें भी उनके बेटे  नकुल नाथ के चहेते नेताओं को ही टिकट दिए गए हैं। कमलनाथ खेमे के एनपी प्रजापति को गोटेगांव से प्रत्याशी बना दिया गया है। पहली सूची में उनकी जगह शेखर चौधरी को टिकट मिला था। प्रजापति के बगावत कर बीजेपी में जाने की आशंकाओं के चलते उन्हें टिकट दे दिया गया है। सागर में जरूर पार्टी का फैसला सटीक नहीं बैठ रहा है। सागर से निधि जैन को मैदान में उतारा गया है। वे भाजपा प्रत्याशी औऱ तीन बार से एमएलए शैलेंद्र जैन के सगे छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी हैं। निधि कुछ समय पहले ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में महापौर का चुनाव बीजेपी प्रत्याशी से हार चुकी हैं। विंध्य अंचल में कमलनाथ ने जातीय संतुलन को बनाने का प्रयास किया है। रीवा से राजेंद्र शर्मा प्रत्याशी बनाए गए हैं जो राजेंद्र शुक्ला के ब्राह्मण वोटों को एकतरफा जाने से रोक सकेंगे। देवतालाब में कांग्रेस ने बड़ी चाल चली है। यहां से स्पीकर गिरीश गौतम के सगे छोटे भाई स्वर्गीय शिवेश गौतम के बेटे पद्मेश गौतम को टिकट दिया गया है। दोनों परिवारों में लंबे समय से अच्छे संबंध नहीं है। पद्मेश जिला पंचायत के चुनाव में गिरीश गौतम के पुत्र राहुल को हरा चुके हैं। सेमरिया से अभय मिश्रा को टिकट दिया गया है, जो तीन चार दिन पहले ही बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए थे। लेकिन मैहर में पार्टी ने नारायण त्रिपाठी को तवज्जो नही दी है। बीजेपी विधायक त्रिपाठी हाल ही में बीजेपी को बाय कहकर कांग्रेस में आऩे की कोशिश कर रहे थे। उन्हें कांग्रेस से टिकट मिलने की भी बड़ी उम्मीद थी, परंतु स्थानीय स्तर पर भारी असंतोष के चलते पार्टी को फैसला बदलना पड़ा।

इस सूची के साथ कांग्रेस की सारी राजनीतिक स्थिति साफ हो गई है। इससे साफ लग रहा है कि पार्टी का फोकस ग्वालियर चंबल और विंध्य अंचल पर सबसे अधिक है। इन अंचलों की सत्तर से ज्यादा सीटें कांग्रेस की सरकार बनवाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

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