करोड़ों के पौधे कागजों में लगा दिए शिवराज सरकार ने, अब केस चलेगा
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 12 अक्टूबर। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने की सनक में राज्य सरकार के खजाने को 450 करोड़ की चपत लगा दी। शिवराज सरकार ने 7 करोड़ पौधे लगाने का फरमान सुनाया था और इसे दिखाने के लिए करोड़ों के पौधे कागजों में लगा दिए गए। अब कांग्रेस सरकार इसे लेकर ईओडब्लयू में मुकदमा दर्ज कराने जा रही है। वन मंत्री उमंग सिंघार ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी दी।
वन मंत्री ने बताया कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड में नाम दर्ज कराने के चक्कर में जुलाई 2017 में एक ही दिन में नर्मदा किनारे 7 करोड़ पौधे लगाने का फरमान सुनाया। अधिकारी मना करते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री की सनक के सामने किसी की नहीं चली। 30 प्रतिशत पौधे भी नहीं लगे और बजट पूरा निकाल लिया गया। कमलनाथ सरकार ने अब इस पर सख्त कदम उठाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और तत्कालीन वनमंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार सहित 6 अधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
वनमंत्री उमंग सिंघार ने आज पत्रकार वार्ता में बताया कि अधिकारी मना करते रहे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गिनीज बुक में नाम दर्ज कराने एक दिन में 7 करोड़ 10 लाख 39 हजार 711 पौधे लगाने का कथित झूठा रिकॉर्ड बनाते रहे। मजेदार बात यह है कि इतने सारे पौधे 20 रुपए से 200 रुपए के दर पर खरीदना दिखाया गया। इनके लिए गड्ढे करना दिखाया गया और इनके रोपण खाद्य और पानी के नाम पर भी करोड़ों रुपए निकाले गए। सरकारी रिकॉर्ड में 1 लाख 21 हजार 275 स्थानों पर 7.10 करोड़ पौधों की घोषणा की गई जबकि गिनीज बुक वल्र्ड ऑफ रिकॉर्ड को बताया गया कि मात्र 5 हजार 540 स्थानों पर 2 करोड़ 22 लाख 28 हजार 954 पौधे ही लगाए गए। यानि 3 गुना भ्रष्टाचार तो पहले ही साफ दिखाई दे रहा है। वनमंत्री का दावा है कि मात्र 5 से 7 प्रतिशत पौधे ही लगे हैं।
वनमंत्री ने पत्रकार वार्ता में स्वीकार किया कि शिवराज कार्यकाल में हुए पौधा रोपण कार्यक्रम में वन विभाग के अधिकारी वनमंत्री को ही गलत जानकारियां दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि बैतूल के शाहपुर परिक्षेत्र में वृक्षारोपण की जानकारी मांगने पर अधिकारियों ने बताया था कि 2 जुलाई 2017 को 15625 पौधे रोपे गए इनमें से 11 हजार 140 पौधे जीवित हैं। जबकि 27 जून 2019 को स्वयं वनमंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मौका मुआयना किया तो मौके पर मात्र 2343 पौधे ही जीवित मिले। इस स्थान पर पौधों के लिए गड्ढे भी मात्र 9 हजार 985 ही खोदे गए थे। उन्होनें कहा कि गलत जानकारी देने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है। मजेदार बात यह है कि इस पूरे मामले में अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी एपी श्रीवास्तव की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। जिस समय यह घोटाला हुआ तब वे प्रमुख सचिव वित्त थे। उनके द्वारा ही इस घोटाले की राशि की वित्तीय अनुमतियां दी गईं। वर्तमान में श्रीवास्तव वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव हैं। वनमंत्री ने उन्हें ही नोटशीट लिखकर इस घोटाले की शिकायत ईओडब्ल्यू को करने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय में चर्चा है कि जिस अधिकारी ने स्वयं घोटाले की राशि जारी की है वह इसकी शिकायत कैसे कराएगा?