कमलनाथ की साख को फिर लगा झटका, अमरवाड़ा में 16 साल बाद कमल खिला
खरी खरी संवाददाता
छिंदवाड़ा, 13 जुलाई। सियासत के अपराजेय योद्धा कहे जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ की साख लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर पराजित हो गई। नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में आने वाली अमरवाड़ा विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह ने कांग्रेस प्रत्याशी धीरेन शाह को 3552 वोटों से हराकर यह सीट जीत ली। अमरवाड़ा में करीब 16 साल बाद कमल खिला है।
आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित अमरवाड़ा सीट के इस उपचुनाव में विजय के लिए कांग्रेस ने इस क्षेत्र के आदिवासियों की अगाध आस्था के केंद्र आंचलपुर धाम के छोटे सेवादार धीरेन शाह इनावाती को मैदान में उतारकर मास्टर स्ट्रोक खेला था, लेकिन प्रचार के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी के पांव छूने वाले वोटरों ने वोट बीजेपी को दिया। बीजेपी ने यहां से कमलेश शाह को मैदान में उतारा था जो बीते तीन चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल कर रहे थे। वे 2023 के विधानसभा चुनाव में भी करीब 25 हजार वोटों से जीतकर विधायक बने थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और विधायकी दोनों छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। इसी के चलते इस सीट पर उपचुनाव हुए थे। कमलेश शाह इसी इलाके में आने वाली हर्रई जागीर के राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। यह सीट कमलनाथ की साख का सवाल बन गई थी। इस सीट पर हमेशा उनका समर्थक ही जीतता आया है। उपचुनाव जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह भी भाजपा में आने के पहले कमलनाथ के खास सिपहसालारों में गिने जाते थे। करीब सोलह साल पहले जब बीजेपी ने यहां विजय हासिल की थी, तब भी प्रत्याशी कमलनाथ समर्थक प्रेमनारायण ठाकुर थे जो चुनाव के पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी इस सीट पर अच्छा खासा प्रभाव है, लेकिन इसे कमलनाथ का गढ़ माना जाता है। इसलिए कमलनाथ पूरी ताकत के साथ इस उपचुनाव का मोर्चा संभाल रहे थे। वे यह सीट जितवाकर लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा में अपने बेटे की पराजय का बदला बीजेपी से लेना चाहते थे, लेकिन तमाम सियासी दांव खेलने के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली और एक बार फिर उनकी साख पराजित हो गई।