एमपी में मैदानी हकीकत जानने के लिए बीजेपी करा रही फीडबैक सर्वे
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 7 अप्रैल। मध्यप्रदेश की सत्ता हर हाल में बचाए रखने के लिए प्रतिबद्ध बीजेपी कोई कोताही नहीं करना चाहती है। इसलिए पार्टी मैदानी हकीकत जानने के लिए फीडबैक सर्वे करा रही है। कई स्तरों पर कराए जा रहे सर्वे में सत्ता और संगठन दोनों के बारे में जानकारी तैयार की जा रही है। उसी के आधार पर पार्टी न सिर्फ चुनावी रणनीति तैयार करेगी बल्कि टिकट का क्राइटेरिया भी सर्वे रिपोर्ट ही तय करेगी।
बीजेपी के लिए मध्यप्रदेश हाटस्पाट हो गया है। वह किसी भी तरह से एमपी की सत्ता हाथ से नहीं जाने देना चाहती है। इसके लिए सरकार की ओर से जहां तमाम योजनाएं संचालित की जा रही हैं, वहीं संगठन कई कार्यक्रम चला रहा है। इसके बाद भी मैदानी हकीकत क्या है और उसे कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है, इसके लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। करीब चौदह बड़े नेताओँ को चुपचाप मैदान में उतार दिया गया है जो पार्टी में मचे अंसतोष को ठीक करेंगे। पार्टी रणनीति के तहत काम कर रही है। इसके तहत सर्वे भी कराए जा रहे हैं। एक फीडबैक सर्वे राज्य स्तर पर हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी की एक एजेंसी से यह सर्वे कराया जा रहा है। दूसर सर्वे केंद्रीय नेतृत्व करा रहा है। एक गुजराती कंपनी को यह जिम्मा सौंपा गया है। तीसरा फीडबैक सर्वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जमीनी स्तर पर सक्रिय स्वयंसेवकों के बीच कराया जा रहा है। इसमें यह देखा जा रहा है कि पार्टी की जमीनी स्थिति क्या है? साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ आम लोगों तक मिल पा रहा है या नहीं। इसके साथ ही पार्टी के प्रादेशिक नेतृत्व और विधायकों के प्रति असंतोष को भी परखा जा रहा है। इन फीडबैक सर्वे के नतीजे तय करेंगे कि चुनावों से पहले पार्टी सरकार और संगठन में किस तरह के बदलाव करती है। शिवराज सरकार ने फरवरी में करीब 20 दिन विकास यात्राएं निकाली। प्रशासनिक अमला गांव-गांव पहुंचा और हितग्राहियों को जोड़ने की कोशिश की। इस दौरान भाजपा सूत्रों के मुताबिक करीब 70 जगहों पर विरोध भी हुआ। यह विरोध स्थानीय मुद्दों, नेताओं और राजनीति की वजह से हुआ। इसका भी आकलन शीर्ष स्तर पर किया गया है। साथ ही जोड़े गए हितग्राहियों को पार्टी अपना ब्रांड एम्बेसेडर बनाकर काम करना चाहती है। इन्हें पन्ना समितियों में जगह देकर डिजिटल आर्मी का सदस्य बनाना भी पार्टी के एजेंडे में है। माना जा रहा है कि ऊपर से साफ संदेश है कि सत्ता औऱ संगठन के बीच किसी भी तरह का बिखराव नहीं दिखाई पड़ना चाहिए। पार्टी हाईकमान कांग्रेस शासित राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ दल की अंदरूनी कलह तथा सत्ता और संगठन के बीच मचे बवाल का फायदा उठाकर कांग्रेस को कमजोर करना चाहते। मध्यप्रदेश में पार्टी इसी दम पर सत्ता में वापस आ गई। इसलिए इस तरह की समस्या को बीजेपी के अंदर हर हाल में रोका जाएगा।