एमपी में प्रभारी मंत्री लोकसभा चुनावों में जीत की रणनीति तय करेंगे
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 7 जनवरी। मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार बहुत जल्द जिलों के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति कर देगी। प्रभारी मंत्री लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे। प्रभारी मंत्री आगामी लोकसभा चुनावों में अपने प्रभार वाले क्षेत्र में भाजपा की जीत की रणनीति पर काम करेंगे। इसलिए कई मंत्रियों को गृह जिला भी प्रभार के रूप में दिया जा सकता है।
मध्यप्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था में प्रभारी मंत्री की बड़ी भूमिका होती है। वह जिले में विकास कार्यों की मंजूरी के लिए काम करने वाली जिला योजना समिति का अध्यक्ष होता है। जिले का कलेक्टर इसका पदेन सचिव होता है। सभी जनप्रतिनिधि इसमें सदस्य के रूप में शामिल होते हैं। प्रभारी मंत्री न होने से जिला योजना समितिय़ों की बैठकें नहीं हो पाती हैं और बहुत से कामों को मंजूरी नहीं मिल पाती है। लोकसभा चुनाव का काउंट शुरू हो गया है इसलिए संगठन और सरकार दोनों को जिलों में तेजी काम शुरू किए जाने की चिंता है। यही कारण है कि प्रभारी मंत्री बनाए जाने के लिए हर स्तर पर हरी झंडी मिल गई है। भाजपा के सत्ता और संगठन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रभारी मंत्री बनाने के लिए मानदंड तय कर दिए गए हैं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विभिन्न शहरों और क्षेत्रों में मंत्रियों की जाति और विभागवार समीकरण को ध्यान में रखा जाएगा। इसी आधार पर सूची को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। मंत्री अपने गृह जिले का प्रभार पाना पसंद करते हैं, लेकिन आम तौर पर ऐसा नहीं किया जाता है। बिना किसी पक्षपात के विकास परियोजनाओं की सख्त निगरानी के लिए मंत्रियों को उनके गृह नगर से दूर भेज दिया जाता है। नई भाजपा सरकार चाहती है कि ज्यादा समय न लेते हुए विकास जमीन पर हो, क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं। इसलिए कई मंत्रिय़ों को गृह जिलों का प्रभार देने पर भी सहमति बन गई है। प्रभारी मंत्रियों को सबसे पहले अपने अनुकूल प्रशासनिक जमावट करनी होगी और पार्टी के कार्यकर्ताओं को उत्साहित करना होगा। इसके बाद मोदी की गारंटी वाले स्लोगन को जन जन तक पहुंचाने के काम में सभी तरह से जुटना होगा। इस सारी रणनीति को ध्यान में रखते हुए जिलों के प्रभारी मंत्री तय किए जाएंगे। इनकी घोषणा बहुत जल्द हो सकती है।